अनंतकाल तक जलते रहने के सिद्धान्त द्वारा अधिक हृदय पीड़ा, अधिक भ्रम
उत्पन्न हुआ जिसके कारण बहुत से लोग किसी एक विश्वास की सम्भावना की अपेक्षा
यहुवाह को अस्वीकार करने के लिए अग्रसर हुए. यहाँ तक कि पापी मनुष्य “न्याय” के इस
विचार से घबरा जाते हैं जिसमे एकमात्र जीवन काल में किये गये पापों के
लिए असीमित अनन्तकाल तक पीड़ा की आवश्यकता दी गई है.
बाइबल का एक वचन जोकि अनन्तकाल तक जलने वाले नरक के समर्थन में अधिकतर
उपयोग किया जाता है वह प्रकाशितवाक्य में पाया जाता है:
“वह एलोहीम के प्रकोप की निरी मदिरा, जो उसके क्रोध के कटोरे में डाली
गई है, पीएगा और पवित्र स्वर्गदूतों के सामने और मेमने के सामने आग और गन्धक की
पीड़ा में पड़ेगा उनकी पीड़ा का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा, और जो उस पशु और उसकी
मूर्ति की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम की छाप लेते हैं, उनको रात दिन चैन न
मिलेगा.” (प्रकाशितवाक्य १४:१०,११)
पुराने नियम में “नरक” शब्द का उपयोग इकत्तीस बार किया गया है,
यह इब्रानी शब्द “Sheol” से अनुवादित किया गया है. अनन्त आग के स्थान से बहुत दूर, sheol शब्द का उपयोग साधारणत: एक स्थान या
मृतकों की दशा के सन्दर्भ में किया जाता है:
“Sheol मृतकों का निवास स्थान, एक निम्न स्थान, या उन लोगों की दशा जो मर गये
या नाश हो गये है….यह एक दण्ड का स्थान समझा जाता था, लेकिन साधारण रूप में सभी
मनुष्यों का अन्तिम विश्राम स्थान समझा जाता है (उत्पत्ति ३७:३५)…… यह
पुनर्जीवित होने के बाद दण्ड के एकमात्र मार्ग के रूप में उपयोग नहीं किया जा
सकता.” (#7585,
The New Strong’s Expanded Dictionary of Bible Words.)
जब तक की नया नियम ग्रीक में अनुवाद नहीं किया गया था तब तक अनन्त आग
का उल्टा “नरक” की धारणा को प्रभावित करना आरम्भ नहीं किया था.
“यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकलकर फेंक दे;
क्योंकि तेरे लिए भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए और तेरा सारा शरीर
नरक में न डाला जाय. यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उसको काटकर फेंक दे;
क्योंकि तेरे लिए भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाय और तेरा सारा शरीर
नरक में न डाला जाय.” (मत्ती ५:२९-३०)
नरक शब्द दस बार ग्रीक शब्द “Hades” से अनुवादित किया गया है जो साधारणतया “Sheol” के समान नाश हुओं का स्थान या दशा है.
ग्यारह बार “नरक” शब्द “gĕĕnna” एक घाटी के सन्दर्भ से आता है जहाँ पतित इस्राइली लोग शिशु बलि चढ़ाया
करते थे. यह अलंकारिक रूप से “अनन्त दण्ड के एक स्थान का नाम (या दशा) के
रूप में उपयोग किया जाता है.” (#1067, The New Strong’s Expanded Dictionary of Bible Words.)
धर्मशास्त्र सिखाता है कि वे सभी जो उद्धार को अस्वीकार करते और
विद्रोही होकर पाप से चिपके रहते हैं, वे जलाए जाने द्वारा दंडित किये जाएँगे. फिर
भी इसे उन सब बातों के प्रकाश में जो बाइबल दुष्टों के दण्ड के बारे में बताती है
समझना आवश्यक है.
धर्मशास्त्र में साक्ष्यों का संचित भार
प्रगट करता है कि उनके लिए जिन्होंने उद्धार को अस्वीकार कर दिया है दण्ड स्वरूप
अनन्त मृत्यु है नाकि अनन्त जीवन.
“क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है; परन्तु [एलोहीम] का वरदान [हमारे यहुशुआ उद्धारकर्ता] में अनन्त जीवन है.”
(रोमियो ६:२३)
इस प्रकार “नरक” जैसा की धर्मशास्त्र में संदर्भित किया गया है के
द्वारा दुष्टों के द्वारा दण्ड को प्राप्त करना है जिसका अन्त उनका विनाश है.
“क्योंकि देखो, वह धधकते भट्टे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब
दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएँगे; और उस आने वाले दिन में वे ऐसे भस्म हो
जाएँगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के यहुवाह का यही वचन है. परन्तु तुम्हारे
लिए जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के
द्वारा तुम चंगे हो जाओगे; और तुम निकलकर पाले हुए बछड़ों के समान कूदोगे और
फांदोगे. तब तुम दुष्टों को लताड़ डालोगे अर्थात मेरे उस ठहराए हुए दिन में वे
तुम्हारे पाँवो के नीचे राख बन जाएँगे, सेनाओं के यहुवाह का यही वचन है.” (मलाकी
४:१-३)
जब एक बार दुष्ट अपने पापों की न्यायोचित क्षतिपूर्ति पा चुकेंगे,
यहुवाह कहता है की वे “जलाए जाएँगे”. जब कोई वस्तु जलाई जाती है, तब जलाने के लिए कुछ भी
बचा नहीं रह जाता है.
“देखो सभी मनुष्यों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा
ही पुत्र का भी प्राण; दोनों मेरे ही हैं. इसलिए जो भी प्राणी पाप करे वही मर
जाएगा.” (यहेजकेल १८:४)
इस प्रकार अनन्त मृत्यु का दण्ड
दुष्टों के लिए जिन्होंने उद्धार को ठुकरा दिया अंतिम दण्ड होगा.
क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएँगे; . . . थोड़े दिन बीतने के बाद
दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भली भांति देखने पर भी उसको न पाएगा.
. . . दुष्ट लोग नष्ट हो जाएँगे; और यहुवाह के शत्रु खेत की सुथरी घास
के समान नष्ट होंगे, वे धुंए के समान लुप्त हो जाएँगे.
यहुवाह की बाट जोहता रह, और इसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ा कर
पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएँगे तब तू देखेगा. मैंने दुष्ट
को बड़ा पराक्रमी और ऐसा फैलता हुआ देखा, जैसा कोई हरा पेड़ अपने निज भूमि पर फैलता
है. परन्तु जब कोई उधर से गया तो देखा कि वह वहाँ है ही नहीं; और मैंने उसे ढूंढा,
परन्तु कहीं न पाया. (भजन ३७:९, १०, २०, ३४-३६,)
उनसे जो हठपूर्वक अपने पाप में जुड़े रहते हैं यहुवाह कहता है:
“देख वे भूसे के समान होकर आग से भस्म हो जाएँगे; वे अपने प्राणों को
ज्वाला से न बचा सकेंगे. वह आग तापने के लिए नहीं, न ऐसी होगी जिसके सामने कोई बैठ
सके.” (यशायाह ४७:१४)
यहुशुआ के दुसरे आगमन के बाद, शैतान और उसके दुष्ट दूत इस पृथ्वी को
प्रकाशितवाक्य के अनुसार “अथाह कुण्ड” में बाँध देंगे.
“फिर मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिसके हाथ में अथाह
कुण्ड की कुंजी और एक बड़ी जंजीर थी. उसने उस अजगर, अर्थात पुराने साँप को, जो
इबलीस और शैतान है. पकड़ के हजार वर्ष के लिए बाँध दिया. और उसे अथाह कुण्ड में डाल
कर बन्द कर दिया और उस पर मुहर लगा दी की वह हजार वर्ष के पुरे होने तक जाति-जाति
के लोगों को फिर न भरमाए. इसके बाद अवश्य है की वह थोड़ी देर के लिए फिर खोला जाए.”
(प्रकाशितवाक्य २०:१-३)
एक हजार वर्ष के लिए, शैतान और उसके दूत इस पृथ्वी पर बांधे जाएँगे
जबकि छुटकारा पाये हुए लोग मुक्तिदाता के साथ स्वर्ग में शासन करेंगे.
“फिर मैंने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उनको न्याय करने का
अधिकार दिया गया. मैंने उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यहुशुआ की गवाही देने
और यहुवाह के वचन के कारण काटे गए थे, और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति
की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी. वे जीवित होकर मसीह के
साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे. जब तक वे हजार वर्ष पुरे न हुए तब तक शेष मरे
हुए न जी उठे. यह तो पहला पुनरुथान है धनी और पवित्र वह है, जो इस पहले पुनरुथान
के भागी हैं. ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे यहुवाह और मसीह
के याजक होंगे और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे.” (प्रकाशितवाक्य २०:४-६)
स्वर्ग में मिलेनियम के समाप्त होने पर, दुष्ट लोग पृथ्वी शैतान के
साथ अपना दण्ड पाएँगे. शैतान फिर एक बार थोड़े समय के लिए, खोये हुओं को धोका देगा,
और उनको उस नये यरूशलेम के विरुद्ध जो यहुवाह पृथ्वी पर लाएगा और युद्ध के लिए
अग्रसर करेगा.
“जब हजार वर्ष पुरे हो चुकेंगे तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा. वह उन
जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात गोग और मागोग को जिनकी गिनती
समुद्र की बालू के बराबर होगी, भरमाकर लड़ाई के लिए इकठ्ठा करने को निकलेगा. वे
सारी पृथ्वी पर फ़ैल कर पवित्र लोगों की छावनी और प्रिय नगर को घेर लेंगी; और आग
स्वर्ग से उतरकर उन्हें भस्म करेगी. उन का भरमाने वाला शैतान आग और गन्धक की उस
झील में, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यवक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा; औए वे रात
दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे.” (प्रकाशितवाक्य २०:७-१०)
अंग्रेजी शब्द “forever and ever” ग्रीक शब्द “aiōn.” [ahee-ohn’] से
अनुवादित किये गये हैं जिसका अर्थ:
“ ‘एक आयु, युग’ और यह एक अनिश्चित अवधि के चक्र या उस समय को जिसमे
चक्र पूरा होते देखा जाता है प्रगट करता है. इस शब्द के साथ यह बहुत अधिक जोर नहीं
दिया गया है कि चक्र की वास्तविक अवधि ही हो, लेकिन यह एक चक्र है जो आत्मिक या
नैतिक अभिलक्षण द्वारा चिन्हित किये गये हैं. . . इस शब्द के साथ जुड़े हुए
वाक्यांश का शाब्दिक अनुवाद नहीं होना चाहिए, परन्तु लगातार इसके इस आशय के साथ की
अनिश्चित अवधि. (#165,
The New Strong’s Expanded Dictionary of Bible Words.)
मात्र इसलिए कि वाक्यांश समय की एक अनिश्चित अवधि को सन्दर्भित करता
है, यह अर्थ नहीं है कि समय की अवधि सदा के लिए बिना समाप्त हुए बढ़ती रहेगी. बाइबल
स्पष्ट रूप से प्रगट करती है कि शैतान और खोये हुओं के दण्ड का एक अन्त है, उसके
बाद वे शेष नहीं रहेंगे.
“तेरे अधर्म के कामों की बहुतायत से और तेरे लेन-देन की कुटिलता से
तेरे पवित्र स्थान अपवित्र हो गये हैं; इसलिए मैंने तुझ में से ऐसी आग उत्पन्न की
जिससे तू भस्म हुआ, और मैंने तुझे सब देखने वालों के सामने भूमि पर भस्म कर डाला
है. देश देश के लोगों में से जितने तुझे जानते हैं सब तेरे कारण विस्मित हुए; तू
भय का कारण हुआ है और फिर कभी पाया न जाएगा.” (यहेजकेल २८:१८-१९)
राख जलती नहीं है. बल्कि, राख उस वस्तु का गौण उत्पाद है जिसका जलना
पूरा हो गया. यह ही अन्त है, अनन्त मृत्यु, जिसका सन्दर्भ यहुशुआ के द्वारा
भी किया गया जब उसने कहा:
“ जो शरीर को घात, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उनसे मत डरना; पर
उसी से डरो जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नष्ट कर सकता है.” (मत्ती १०:२८)
आग की झील जो अंततः पाप और पापियों को नाश करती है, वह मृत्यु को भी
स्वत: नाश करती है:
“फिर मैंने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े देखा, और
पुस्तकें खोली गईं; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्तक; और जैसा
उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, वैसे ही उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय
किया गया. समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमे थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने
उन मरे हुओं को जो उनमें थे दे दिया; और उनमें से हर एक के कामों के अनुसार उनका
न्याय किया गया. मृत्यु और अधोलोक आग की झील में डाले गये. यह आग झील दूसरी मृत्यु
है; और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में
डाला गया.” (प्रकाशितवाक्य २०:१२-१५)
मानव जाति का मृत्यु की शक्ति से उद्धार ही मुक्तिदाता के मिशन का
सम्पूर्ण उद्देश्य था. उसके शिशु रूप में जन्म लेने के बहुत पहले ही उसके लिए एक
भविष्यवाणी की गई:
“मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूँगा और मृत्यु से उसको छुटकारा
दूँगा. हे मृत्यु तेरी मरने की शक्ति कहाँ रही? हे अधोलोक, तेरी नष्ट करने की
शक्ति कहाँ रही? मैं फिर कभी नहीं पछताऊंगा. (होशे १३:१४)
पहली बार हाबिल की मृत्यु के समय आदम और हव्वा के शोक से लेकर
विश्वासी हृदयों में पाप, शैतान और यहाँ तक कि मृत्यु का नाश केंद्र बिंदु रहा है.
पुनर्जीवित धर्मी आनन्द से चिल्लायेंगे:
“जय ने मृत्यु को निगल लिया. हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रही? हे मृत्यु
तेरा डंक कहाँ रहा?” ( १कुरन्थियो १५:५४,५५)
आग जो पाप और पापी को नाश करती है पृथ्वी को भी शुद्ध करती है:
“परन्तु [यहुवाह] का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी
हडबडाहट के शब्द से जाता रहेगा और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिधल जाएँगे और पृथ्वी
और उस पर के काम जल जाएँगे.” (२पतरस ३:१०)
सृष्टिकर्ता भी पुन:-सृष्टिकर्ता होगा. एक बार जब पृथ्वी पाप के
अन्तिम चिन्ह से भी साफ़ हो जाएगी, यहुवाह एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्वी बनाएगा.
“आदि में तूने पृथ्वी की नीव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ
है. वह तो नष्ट होगा, परन्तु तू बना रहेगा, और वह सब कपड़े के समान पुराना हो
जाएगा. तू उनको वस्त्र के समान बदलेगा, और वह बदल जाएगा , परन्तु तू वही है, और
तेरे वर्षों का अन्त नहीं होने का.” (भजन १०२:२५-२७)
वह आग जो दुष्टों को नाश करती है पृथ्वी को शुद्ध करती है. शाप के
प्रत्येक चिन्ह मिटा दिए गये. पाप के डरावने परिणाम बंधन मुक्ति के पहले अनन्त काल
तक जलने वाला नरक नहीं रखा जाएगा.
केवल एक अनुस्मारक शेष रहेगा: हमारा छुटकारा देने वाला क्रूस पर दिए
गये घावों को हमेशा धारण किये रहेगा. उसका जख्मी सिर, बाजू, उसके हाथ और पैर ही
मात्र चिन्ह हैं जो पाप के द्वारा गढ़े गये हैं. (E. G. White, The Great Controversy, p. 674.)
यह पृथ्वी, क्लेश, संघर्ष, और पीड़ा का दृश्य छुटकारा पाए हुओं का
अनन्त निवास होगा.
“पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नये आकाश और नई पृथ्वी की आस
देखते हैं जिनमे धार्मिकता वास करेगी.” (२ पतरस ३:१३)
बचाए हुओं का आनन्द यहुवाह की उपस्थिति होगी जो, अनन्त काल तक कभी न
रुकने वाले चक्र के द्वारा उनके साथ वास करेगा जो, विश्वास के द्वारा मेमने के
छुटकारा देने वाले लहू में, पाप और अनन्त मृत्यु से बचाए गये हैं.
“फिर मैंने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और
पहली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा. फिर मैंने पवित्र नये यरूशलेम को
स्वर्ग से [यहुवाह] के पास से उतरते देखा. वह उस दुल्हिन के समान थी जो अपने पति
के लिए श्रृंगार किये हो. फिर मैंने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते
हुए सुना, ‘देख [यहुवाह] का डेरा मनुष्यों के बीच में है. वह उनके साथ डेरा करेगा,
और वे उसके लोग होंगे, और [एलोहीम] आप उनके साथ रहेगा और उनका [एलोहीम] होगा. वह
उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और उसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न
विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रही.” (प्रकाशितवाक्य २१:१-४)
यहुवाह कभी भी किसी को अनन्त वेदना की दण्ड आज्ञा नहीं देगा. उसके
शत्रुओं के लिए उसका दण्ड न्यायोचित है नाकि प्रतिशोधात्मक.
“क्योंकि यहुवाह ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र
दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए.
यहुवाह ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे,
परन्तु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए.” (यहुन्ना ३:१६-१७)
शेष स्वर्गीय पिता के ज्ञान में आपके लिए उसका प्रेम है. वह उन सभी को
जो उसके पास विश्वास में आते है बचायगा.