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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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नये चाँद का दिन : सृष्टिकर्ता का दान

याहुवाह अपनी सृष्टि की आवश्यकता को जानता है. अपने प्रेम में जो उसने खास-तौर पर प्रत्येक के लिए प्रदान किया है. याहुवह जानता है कि मनुष्य को लगातार बिना रुकावट के कार्य नहीं करना चाहिए. हमारी कमजोरी और विश्राम की आवश्यकता और साथ ही साथ आज्ञापालन के लिए उसने समय को विभाजित या अलग-अलग किया. समय का सबसे छोटा टुकड़ा प्रकाश और अन्धकार द्वारा विभाजित दिन है. समय का अगला टुकड़ा लुनेशन (दो नये चाँद के बीच की अवधि) है. इसके बाद चार मौसम आते हैं, ग्रीष्मकाल ,शीतकाल संक्रांति और बसन्त ऋतु, शरद ऋतु दिन रात बराबर होने का समय जो सौर्य वर्ष को विभाजित करता है. समय के ये विभाजन मनुष्य के हाथों से बाहर हैं, जो सीधे सृष्टिकर्ता के प्रभुत्व और ईश्वरीय तत्वों की गति द्वारा नियंत्रित हैं.

sun, moon, and stars“फिर याहुवाह ने कहा, ‘दिन को रात से अलग करने के लिए आकाश के अन्तर में ज्योतियाँ हों; और वे चिन्हों, और नियत  समयों और दिनों, और वर्षों के कारण हों;… और वैसा ही हो गया.” (उत्पत्ति १:१४-१५NKJV)

प्रत्येक लुनेशन का विभाजन चार सब्त में किया जाना था — सातवे दिन की उपासना के साथ छह कार्यदिवस .

तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना. छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब कामकाज करना; परन्तु सातवाँ दिन तेरे याहुवह के लिये विश्रामदिन है……

क्योंकि छ: दिन में याहुवाह ने आकाश और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उनमे है, सबको बनाया, और सातवे दिन विश्राम किया; इस कारण याहुवाह ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया .(देखिये निर्गमन २०:८-११)

याहुवाह अपने सब बच्चों के लिये अधिकार और स्वतंत्रता चाहता है. उसने आज्ञा दी कि लुनेशन या माह का विभाजन चार सबतों में किया जावे और विभाजन को मनुष्यों के हाथों में रखा ताकि मनुष्य चौथी आज्ञा का पालन करते हुए स्वर्गीय एलोहीम के प्रति अपनी अधीनता को प्रदर्शित करें. जबकि सब्त लगभग चाँद के चरणों का अनुसरण करता है यह समय का उतना उपयुक्त और सुस्पष्ट विभाजन नहीं है जितना कि दिन या माह का. याहुवाह ने मनुष्य को जो उनके मन में है करने के लिये मौका देते हुए कि वे आज्ञापालन करें या न करें इसे अपरिभाषित रखना ही उचित समझा.

वे जो अपने स्वामी से प्रेम रखते हैं और उसका आदर करते हैं सप्ताह के सातवे दिन उसकी उपासना करते हैं. उनका लुनेशन माह के तीस दिनों में सात दिनों के चार सप्ताहों में विभाजित होता है जिसमे एक स्थानान्तरण दिन भी होता है. वे जो इस पवित्र आज्ञा का विद्रोह करना चाहते हैं उन्हें आजादी दी गई कि वे ऐसा कर सकते हैं. तीस दिन के लुनेशन का विभाजन १० दिनों के तीन सप्ताहों में भी किया जा सकता है जैसा कि फ्रांस गणतन्त्र के कैलेन्डर में १७९३ से १८०६ तक जबकि फ्रांस सरकार ने फ्रांस को सात दिनों के सप्ताह और क्रिश्चियनिटी से मुक्त करना चाहा. यह पांच दिनों के प्रत्येक सप्ताह के अनुसार छ: सप्ताहों में भी बाटा जा सकता है.

चन्द्र-सौर्य कैलेन्डर के अनुसार सात दिनों के सप्ताह के सातवें दिन उपासना करना सृष्टिकर्ता के प्रति निष्ठा का प्रतीक है. यह उसे जो जीवन और व्यवस्था का देने वाला आज्ञापालन, प्रेम और भक्ति का स्वामी है, स्वीकार करना है. समय विभाजन का आत्मिक कारण मनुष्य को स्वत: मूल्याँकन का समय दिया जाना है. प्रत्येक सातवें दिन का सब्त मनुष्य को याहुवाह की शुद्धता और पवित्रता के सामने लाता है. यह मनुष्य को उसकी असफलता और कुरूपता के तीव्र विरोधाभास में डालता है. ईश्वरीय पवित्रता के सन्मुख एक पश्चातापी पापी चीखता है:

“तब मैंने कहा, ‘ ‘हाय! हाय! मैं नष्ट हुआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठों वाला मनुष्य हूँ; और अशुद्ध होठों वाले मनुष्यों के बीच रहता हूँ, क्योंकि मैंने सेनाओं के याहुवाह महाराजाधिराज को अपनी आँखों से देखा है.’’ (यशायाह ६:५)

प्रत्येक लुनेशन को एक अतिरिक्त उपासना का दिन दिया गया ताकि मनुष्य पिछली लुनेशन की असफलता को जाँच ले और आने वाले लुनेशन के लिये विश्लेषण कर ले. यह उपासना का दिन नये चाँद का दिन है जो प्रत्येक माह के पहले दिन आता है जबकि कार्य का सप्ताह माह के दुसरे दिन आरम्भ होता है. नये चाँद का दिन वह समय है जिसमें मनुष्य अपनी आत्मिक अवस्था का ध्यान कर सकता है. मैंने अपने पिछले लुनेशन में क्या किया? मैं अपनी इच्छा और जीवन को सृष्टिकर्ता के अनुसार लाने के लिये और अलग क्या कर सकता हूँ? यह समय होता है पिछली असफलताओं से क्षमा और आनेवाले माह के लिये सहायता मांगने का. प्रत्येक नये चाँद पर अपडेट की गई पत्रिका उपयोगी हो सकती है. बहुत से लोग नये वर्ष पर विश्लेषण करते हैं पर वे शायद इसे एक या दो माह तक ही रख पाते हैं. याहुवाह मनुष्यों की इस कमजोरी को समझता है और हमें प्रत्येक माह में अपने विश्लेषणों को शुद्ध करने और बनाने का मौका दिया.

आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेन्डर में इसके पूर्व जुलियन कैलेन्डर के समान महीने पूर्णतया चन्द्रमा के Luni-Solar Calendarचक्र से अलग है. समय गणना की इस वैकल्पिक विधी में नये चाँद के दिनों का अस्तित्व नहीं है. तौभी यह नये चाँद के दिनों में याहुवाह की आराधना करने से छूट नहीं देता.

“अभी भी नया चाँद और सब्त मूलत: चाँद के चक्र पर निर्भर हैं…मूलत: नये चाँद को सब्त के समान ही मनाया जाता था, धीरे धीरे इसका महत्व घटता गया जबकि सब्त का दिन एक धर्म और मानवता, धार्मिक चिंतन और अनुदेश, आत्मा की शान्ति और आनन्द में और अधिक बढ़ता गया.” (Universal  jewish  Encyclopedia , “Holidays,”p 410)

नये चाँद अपने-आप में उपासना के दिन का एक वर्ग है. यह स्वर्गीय उदारता में धन्यवाद की भेंट चढ़ाने और उल्लास का समय होता है. पुरातन काल में ये पर्बों के दिन भी हुआ करते थे. भोजन बनाने का प्रतिबन्ध नये चाँद पर लागू नहीं होता था और धर्मनिष्ट इस्राएली जो अन्य दिनों में उपवास करते थे नये चाँद के दिन कभी भी उपवास नहीं करते थे. नये चाँद के दिनों में याहुवाह के लिये कार्य किये जा सकते थे. जंगल में मिलापवाले तम्बू के बनाये जाने के बाद, मूसा ने नये चाँद के दिन सभी भागों को एकत्रित किया.

“और दूसरे वर्ष के पहले दिन को निवास खड़ा किया गया. मूसा ने निवास को खड़ा करवाया, और उसकी कुर्सियाँ धर उसके तख्ते लगाके उनमें बेंडे डाले, और उसके खम्भों को खड़ा किया; और उसने निवास के उपर तम्बू को फैलाया, और तम्बू के उपर उसने ओढने को लगाया; जी प्रकार याहुवाह ने मूसा को आज्ञा दी थी.” (निर्गमन ४०:१७-१९)

तौभी कोई आय बढ़ाने वाला लेनदेन नहीं किया जा सकता था. सृष्टिकर्ता के साथ समय बिताने के स्वर्गीय अवसर की विद्रोही हृदय कभी सराहना नहीं कर सकता. सदियों बाद इस्राएल के विद्रोहियों ने सब्त और नये चाँद के आने पर व्यापार के मौके खोने का दुःख प्रगट करना आरम्भ किया.

two people exchanging money (a business transaction)

नये चाँद के दिन कोई आय बढ़ाने वाला व्यापार नहीं होना चाहिए.

“जो कहते हो, ‘ ‘नया चाँद कब बीतेगा की हम अन्न बेच सकें? विश्रामदिन कब बीतेगा, की हम अन्न के खत्ते खोलकर एपा को छोटा और शेकेल को भारी कर दें, और छल से दंडी मारें, की हम कंगालों को रुपया देकर, और दरिद्रों को एक जोड़ी जूतियाँ देकर मोल लें, और निकम्मा अन्न बेचें? (आमोस ८:५-६)

यह प्रवृति स्वर्गीय सरकार के विरुद्ध बड़ा राजद्रोह है. सातवे दिन सब्त के समान नये चाँद के दिन भी पवित्र सभा का समय है और इन पवित्र दिनों का अस्वीकार ही इस्राएल के असीरिया द्वारा तख्तापलट के लिये जिम्मेदार है. इससे ठीक अगला पद यह प्रगट करता है कि:

“याहुवाह, जिस पर याकूब को घमण्ड करना उचित है, वही अपनी शपथ खा कर कहता है, ‘ ‘मैं तुम्हारे किसी काम को कभी न भूलूँगा. क्या इस कारण भूमि न कांपेगी? क्या उन पर के सब रहने वाले विलाप न करेंगे? यह देश सब का सब मिस्र कि नील नदी के समान होगा, जो बढ़ती है फिर लहरें मारती, और घट जाती है.’ ‘ (आमोस ८:७-८)

जानबूझ कर की गई अवज्ञा को विद्रोह समझा गया है जबकि याहुवाह बड़ी दयालुता से अज्ञानता के समयों पर संकेत करता है. इस्राएल की उपासना एक ऐसे रूप में विकृत हो गई थी जिसका कोई मूल्य नहीं था.

याहुवाह ने इस्राएल की उपासना को यह कहकर अस्वीकार कर दिया :

“मैं तुम्हारे पर्बों से बैर रखता, औए उन्हें निकम्मा जानता हूँ, और तुम्हारी महासभाओं से मैं प्रसन्न नहीं. चाहे तुम मेरे लिये होमबलि और अन्नबलि चढाओ, तौभी मैं प्रसन्न न होऊँगा, और तुम्हारे पाले हुए पशुओं के मेलबलियों को ओर न ताकूंगा. अपने गीतों का कोलाहल मुझसे दूर करो; तुम्हारी सारंगियों का सुर मैं न सुनूँगा. (आमोस ५:२१-२३)

इस्राएल जबकि याहुवाह की लगातार उपासना करता रहा लेकिन वास्तव में वे शैतान को आदर दे रहे थे जैसा कि उनके पुरखाओं ने जंगलों में सोने का बछड़ा बना कर किया. याहुवाह चाहता था कि:

“हे इस्राएल के घराने, तुम जंगल में चालीस वर्ष तक पशुबलि और अन्नबलि क्या मुझी को चढ़ाते रहे? नहीं, तुम तो अपने राजा का तम्बू, और अपनी मूरतों की चरणपीठ, और अपने देवता का तारा लिये फिरते रहे. इस कारण मैं तुमको दमिश्क के उस पर बंधुकाई में कर दूँगा, सेनाओं के याहुवाह का यही वचन है.” (आमोस ५:२५-२७)

Chiun-“ शनिदेव का दूसरा नाम” (The New Strong’s Exhaustive concordance of the Bible)

girl refusing to look at the Bible with her family

खेद है कि आज बहुत से तथाकथित मसीही याहुवाह के पवित्र कैलेन्डर के प्रगामी प्रकाश को अस्वीकार कर रहे हैं.

प्राचीन इस्राएल, ने  आधुनिक इस्राएल के समान, याहुवाह के नये चाँद के दिनों को अस्वीकार कर दिया और शनि के दिन या शनिवार को उपासना करने की पुरानी स्थिति में लौट गये.

“ग्रहों की उनके विशिष्ट दिनों पर प्रार्थना स्वर्गीय मण्डल की उपासना का एक भाग था.” (R.L.             Odom, Sunday in roman Paganism, p 158)

 इस प्रकार की उपासना याहुवाह को स्वीकार्य नहीं है. आमोस में, शनि की उपासना के लिये उनको दोषी ठहराते हुए याहुवाह ने घोषणा की:

“हाय उन पर जो सिय्योन में सुख से रहते, और उन पर जो सामरिया के पर्वत पर निश्चिन्त रहते है,….तुम बुरे दिन को दूर कर देते, और उपद्रव की गद्धी को निकट ले आते हो….इस कारण वे अब बंधुआई में पहले जाएँगे,……सेनाओं के याहुवाह ने अपनी ही शपथ खाकर कहा है जिस पर याकूब घमण्ड करता है उससे मैं घृणा रखता हूँ….मैं इस नगर को उस सब समेत जो उसमें है शत्रु के वश में कर दूँगा.” (आमोस ६: १,३,७-८)

उन सब के लिये जो आधुनिक झूठे कैलेन्डर के अनुसार शनिवार के दिन उपासना के साथ चिपके हुए हैं और बाइबल के चंद्र-सौर्य कैलेन्डर के अनुसार नये चाँद और सब्त को मानने के दायित्व से इनकार करते है यही भाग्य बाट जोह रहा है.

सभी सब्त और “फिर मैंने उनके लिये अपने विश्रामदिन ठहराए जो मेरे और उनके बीच चिन्ह ठहरें; कि वे जानें कि मैं याहुवाह उनका पवित्र करनेवाला हूँ.” (यहेजकेल २०:१२)

वास्तव में, सब्त और नये चाँद के दिनों पर सृष्टिकर्ता की उपासना नई पृथ्वी पर अनन्तकाल तक के लिये छुटकारे का एक आनन्द होगा.


  
“क्योंकि जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्वी, जो मैं बनाने पर हूँ, मेरे सन्मुख बनी रहेगी, उसी

प्रकार तुम्हारा वंश और तुम्हारा नाम भी बना रहेगा; याहुवाह की यही वाणी है. फिर ऐसा होगा कि एक

नये चाँद से दुसरे नये चाँद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक समस्त प्राणी

मेरे सामने दंडवत करने को आया करेंगे; याहुवाह का यही वचन है.” (यशायाह ६६:२२-२३)
 


अभी समर्पित होइए कि आप सभी सब्त, विश्रामदिन, और वार्षिक पर्बों पर याहुवाह कि उपासना करेंगे. उन सभों के लिये जो उसकी जिसके पास जीवन की परिपूर्णता है सहभागिता चाहते हैं अकथनीय आनन्द बाट जोह रहा है.
 

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