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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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याहुशुआ: हमारा महायाजक

इब्रानियाँ ६:१७-२०

याहुवाह के अनंत ज्ञान और असीम प्रेम ने एक योजना बनाई जिससे पापी मनुष्य को दिव्य कृपा में बहाल किया जा सके। इस योजना ने मानव जाति को शैतान के नियंत्रण से, और कानूनी छुडौती से भी कहीं ज्यादा ऊँचा उठाया। यह मानव आत्मा के अंदर दिव्य चरित्र की बहाली भी कहलाई जाता है। यही तो वह आशा है, जिसके बारे में पौलुस ने उल्लेख किया कि वापस दिव्य चरित्र की पूर्ण बहाली हो। और यह वही काम है जिसे याहुशुआ अभी भी करने में लगा हुआ है।

उद्धार की योजना की हर छोटी से छोटी चीज़ को सिखाने के लिए, याहुवाह ने मूसा को एक तम्बू बनाने का आदेश दिया जिसकी सेवा-कार्य और निर्माण, मानवता को उद्धार की सच्चाइयों में निर्देशित करेगा: “और वे मेरे लिये एक पवित्रस्थान बनाएँ कि मैं उनके बीच निवास करूँ ।” (निर्गमन २५:८; HINDI-BSI) इन पवित्र सेवाओं का मुख्य आकर्षण प्रायश्चित का दिन पर मनाया गया वार्षिक समारोह था।

यह पूरे साल का सबसे गंभीर दिन था। यह डरने, कांपने और अपने जीव को दुःख देने का दिन था . . . और साथ ही साथ अधिक आध्यात्मिक आशीष का भी। यह पाप के लिए गहरे और दिल से आत्मा-खोज और प्रार्थनात्मक पश्चाताप करने का दिन था। यह प्रायश्चित का दिन ही था कि जिन पापों के लिए पश्चाताप किया जाता था – वे पाप दोनों, स्वर्ग में दर्ज किताबों के साथ-साथ व्यक्ति के चरित्र से भी हटा दिए जाते थे।

विश्वास से स्वीकार किया गया यह उपहार, लोगों को हर साल को एक बार फिर से एक नई साफ स्लेट के साथ शुरू करने की इजाजत दी।जो लोग अपने पापों को कबूल करके और पश्चाताप के माध्यम से समय से पहले पवित्रस्थान में स्थानांतरित कर चुके थे,जंगल में तम्बू वे लोग विश्वास से एक नये हृदय का दावा कर सकते थे। यह वही काम है अर्थात शुद्धिकरण का विशेष कार्य, जो प्रायश्चित के दिन किया जाता है और यह अब उन सभी के लिए उपलब्ध है जो प्राचीन इस्राएल की तरह, आत्मा-खोज और पश्चाताप के काम में शामिल होंगे।

तम्बू की दैनिक सेवाओं के दौरान, पश्चातापी व्यक्ति के पापों को कानूनी रूप से पशुओं के लहू के द्वारा निवासस्थान को स्थानांतरित कर दिया जाता था: भेड़ के बच्चे, बकरियाँ और बछडों के लहू से। लहू को पवित्र स्थान में ले जाया जाता था और पश्चाताप करने वाले पापी को माफ़ कर दिया गया, माना जाता था, हालांकि, उसके पाप का लेखा बना रहता था। प्रायश्चित के दिन, महायाजक तम्बू के सबसे पवित्र स्थान में जाता था। वह हर साल केवल एक बार ही जाता था और यह वही सेवा थी जो मौजुदा पापों को मिटा देती थी।

जब . . . पहले तम्बू [पवित्रस्थान] में याजक हर समय प्रवेश करके सेवा के कार्य सम्पन्न करते हैं,

पर दूसरे में [परम पवित्रस्थान] केवल महायाजक वर्ष भर में एक ही बार जाता है, और बिना लहू लिये नहीं जाता; जिसे वह अपने लिये और लोगों की भूल चूक के लिये चढ़ाता है। इस से पवित्र आत्मा यही दिखाता है कि जब तक पहला तम्बू खड़ा है, तब तक पवित्रस्थान का मार्ग प्रकट नहीं हुआ। (इब्रानियाँ ९:६-८: Hindi O.V, BSI)

पापियों को बचाने के लिए स्वर्गीय तम्बू में किए गए कानूनी लेनदेन को सिखाने के लिए सांसारिक तम्बू दिया गया था। सांसारिक तम्बू की सेवाएं मेमनों के लहू से की जाती थीं। जबकि स्वर्ग की सेवाएं स्वयं याहुशुआ के लहू से की जाती हैं: “देखो, यह याह का मेम्ना है, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” (यूहन्ना १:२९; HINDI-BSI) याहुशुआ की मृत्यु के बाद स्वर्ग में क्या किया जाएगा, सांसारिक तम्बू इसका प्रतीकात्मक था।

“यह [सांसारिक] तम्बू वर्तमान समय के लिये एक दृष्टान्त है; जिसमें ऐसी भेंट और बलिदान चढ़ाए जाते हैं, जिनसे आराधना करनेवालों के विवेक सिद्ध नहीं हो सकते। क्योंकि वे केवल खाने पीने की वस्तुओं और भाँति-भाँति की स्‍नान-विधि के आधार पर शारीरिक नियम हैं, जो सुधार के समय तक के लिये नियुक्त किए गए हैं।” (इब्रानियों ९: ९-१०;HINDI-BSI )

पशुओं का लहू, वास्तव में, पाप से किसी को भी शुद्ध नहीं कर सकता था। उसके पास वह शक्ति नहीं थी। वे केवल पाप के लिए परम बलिदान के लिए इंगित प्रतीक थे: याहुशुआ का।

“क्योंकि व्यवस्था जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिए उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती। नहीं तो उनका चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिए कि जब सेवा करनेवाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उनका विवेक उन्हें पापी न ठहराता। परन्तु उनके द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है। क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे।” (इब्रानियों १०: १-४; HIN2017)

केवल याहुशुआ का लहू पाप से शुद्ध कर सकता है। सांसारिक तम्बू में आने वालों ने विश्वास किया कि जब उद्धारकर्ता आएगा, तब अंतिम क्षमा, शुद्धिकरण और बहाली हो सकती है।

परन्तु जब याहुशुआ आनेवाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर, जो हाथ का बनाया हुआ नहीं अर्थात् इस सृष्टि का नहीं, और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्रस्थान में प्रवेश किया और अनंत छुटकारा प्राप्त किया।

परन्तु जब मसीह आनेवाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर, जो हाथ का बनाया हुआ नहीं अर्थात् इस सृष्टि का नहीं, और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्रस्थान में प्रवेश किया और अनंत छुटकारा प्राप्त किया। क्योंकि जब बकरों और बैलों का लहू और कलोर की राख का अपवित्र लोगों पर छिड़का जाना शरीर की शुद्धता के लिए उन्हें पवित्र करता है, तो याहुशुआ का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा याहुवाह के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते याहुवाह की सेवा करो।

इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उसकी मृत्यु के द्वारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करें। (इब्रानियाँ ९:११-१५; HINDI-BSI)

यदि पशुओं का लहू लोगों को उनके पापों से शुद्ध करना विश्वास से स्वीकारा गया था, तो याह के पुत्र का लहू लोगों को उनके पापों से क्षमा और शुद्ध करना और कितना स्वीकार्य होगा?

दो मेम्ने“सच तो यह है कि व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएँ लहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं, और बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं।” (इब्रानियों ९:२२; HINDI-BSI) क्योंकि याहूशुआ का लहू बहाया गया है, तो उन लोगों पर कोई दंडआज्ञा नहीं है, जिन्होंने विश्वास में अपने पापों से पश्चाताप किया है और उसकी क्षमा और पवित्राई स्वीकार कर ली है।

“सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।” (रोमियो ८:१; HHBD)

याह का मेमना – याहुशुआ, की जगत के पापों के लिए हुई मृत्यु के बाद, वह वापस स्वर्गीय तंबू के लिए लौट आया। वहाँ उसने आपके लिए और उन सभी पापियों के लिए जो उसे ढूँढते हैं, प्रायश्चित करने के लिए स्वर्गीय तंबू में प्रवेश किया। आने वाले उद्धारकर्ता में विश्वास के माध्यम से विश्वासियों के लिए जो किया गया था, अब वास्तविकता में हो सकता है‌।

“इसलिये अवश्य है कि स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप इन बलिदानों के द्वारा शुद्ध किए जाएँ, पर स्वर्ग में की वस्तुएँ स्वयं इनसे उत्तम बलिदानों के द्वारा शुद्ध की जातीं। क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्रस्थान में, जो सच्चे पवित्रस्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया पर स्वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब एलोआह के सामने दिखाई दे। यह नहीं कि वह अपने आप को बार-बार चढ़ाए, जैसा कि महायाजक प्रति वर्ष दूसरे का लहू लिए पवित्रस्थान में प्रवेश किया करता है, नहीं तो जगत की उत्पत्ति से लेकर उसको बार-बार दु:ख उठाना पड़ता; पर अब युग के अनंत में वह एक ही बार प्रकट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे।” (इब्रानियों ९: २३-२६; HINDI-BSI)

क्रूस पर याहुशुआ की मौत एक बार की मौत थी। उसे फिर कभी मरना नहीं होगा। वह निश्कलंक मेमना था, जो कई लोगों के अपराधों के लिए एक बार बलिदान हुआ। अब क्षमा, पूरी और मुफ्त, उन सभी को दी जाती है जो उसके पास विश्वास के द्वारा आते हैं और इस उपहार को किसी भी कीमत पर स्वीकार करते हैं, मगर फिर भी स्वतंत्रतापूर्वक और कृपापूर्वक मुफ्त पेशकश किया गया। “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्‍वासयोग्य और धर्मी है।”( १ यूहन्ना १:९; HINDI-BSI)

“और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्‍त है, वैसे ही याहुशुआ भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा।” (इब्रानियों ९: २७-२८; HINDI-BSI)

पवित्रशास्त्र याहुशुआ को याहुवाह के उपस्थिति में खड़े होकर अब भी आपके पापों के लिए प्रायश्चित्त के रूप में अपने लहू की पेश करता है। विश्वास में उसके पास आने वाले सभी लोगों को शुद्ध और बहाल करने के लिए वह दृढ़ता से पूरे हृदय के साथ इंतज़ार कर रहा है। सांसारिक तंबू में होने वाले बलिदान उस दिन की ओर निर्देशित करते थे जब मसीहा सभी के पापों के निमित्त प्रायश्चित करने के लिए बलिदान हो जाएगा। और अब पीछे की ओर देखते हुए, हम उसे विश्वास से स्वीकार कर सकते हैं जो क्रूस पर हुआ था।

हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते, बार-बार चढ़ाता है। परन्तु यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर याहुवाह के दाहिने जा बैठा, और उसी समय से इसकी बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की पीढ़ी बनें। क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।

और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उसने पहले कहा था, “प्रभु कहता है कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा।” फिर वह यह कहता है,“मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा। (इब्रानियाँ १०: ११- १८; HINDI-BSI)

जब याहुशुआ स्वर्ग के बादलों में आएगा, तो न्याय खत्म हो गया होगा। यह पहले ही तय किया जा चुका होगा कि किसको क्षमा किया जाएगा और किसे हमेशा के लिए दोषी ठहराया जाएगा। पवित्रशास्त्र में दर्ज याहुशुआ के अंतिम कथनों में से एक कथन यह स्पष्ट करता है: “देखो, मैं शीघ्र ही आ रहा हूँ और अपने साथ तुम्हारे लिए प्रतिफल ला रहा हूँ। जिसने जैसे कर्म किये हैं, मैं उन्हें उसके अनुसार ही दूँगा।” (प्रकाशित वाक्य २२:१२; HERV)

प्रार्थना करती हुई स्त्रीउद्धारकर्ता, प्रतिफल को उसके साथ लाने के क्रम में, यह पहले ही निर्धारित किया जाएगा कि कौन सा प्रतिफल कौन प्राप्त करता है: किसे अनंत जीवन दिया जाता है, और किसे शैतान और उसके स्वर्गदूतों के साथ आग की झील में डाला जाएगा।

अब, जब दया दी जा रही है, यही समय है आपके चुनाव को सुनिश्चित करने का। अपने हृदय को जाँचे, अपनी गलतियों को स्वीकारें और पश्चाताप करें। प्रार्थना में याहुवाह से याचना करें: “हे एलोआह, मुझे जाँचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!” (भजन संहिता १३९:२३-२४; HINDI-BSI O.V)

अंतिम पीढ़ी उन लोगों का समूह है जिसे बाबुल से बाहर बुलाया गया है। उन्हें भ्रष्ट चर्चों से बाहर बुलाया जाता है; उन्हें परंपरा, त्रुटि, पाप और पथभ्रष्टता से बाहर बुलाया जाता है। और, जब वे बाबुल को छोड़कर और अपने सृष्टिकर्ता के प्रति आज्ञाकारिता में वापस आने के लिए बुलावे का जवाब देते हैं, तो एक अद्भुत परिवर्तन गढ़ा जाता है: उन्हें शुद्धता, पवित्रताई और नया हृदय उपहार में दिया जाता है। उन्हें एक नया हृदय और एक नई आत्मा दी जाती है। वे दिव्य क्षवि में बहाल किए जाते हैं।

“ ‘क्योंकि मैं तुम्हें जातियों में से निकाल लूँगा; मैं तुम्हें सब देशों से इकट्ठा करूँगा और तुम्हें तुम्हारे स्वयं के देश में ले आऊंगा।”

“मैं तुम पर शुद्ध पानी छिड़कूंगा, और तुम शुद्ध हो जाओगे; मैं तुम्हें तुम्हारे सब अशुद्धियों से और तुम्हारे सब मूर्तियों से शुद्ध करूँगा।”

“मैं तुम्हें एक नया हृदय दूँगा और तुममें एक नई आत्मा डालूंगा; मैं तुमसे तुम्हारे पत्थर के हृदय को हटा दूँगा और तुम्हें माँस का एक हृदय दूँगा।”

“और मैं अपनी आत्मा तुममें डालूंगा और ऐसा करूँगा कि तुम मेरे नियमों पर चलोगे और मेरे कानूनों पर सावधानीपूर्वक चलोगे। तब तुम उस देश में रहोगे, जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था; तुम मेरे लोग होगे और मैं तुम्हारा एलोहीम ठहरूंगा। मैं तुम्हें तुम्हारी सब अशुद्धता से छुड़ाऊंगा। (यहेजकेल ३६:२५-२९; SHB)

यही वह है जो आपका उद्धारकर्ता आपके लिए करने का इंतजार कर रहा है। वह आपको एक पवित्र हृदय और भला आत्मा देना चाहता है। वह आपको याहुवाह के दिव्य चरित्र में बहाल करना चाहता है।

आज ही प्यार भरे निमंत्रण को स्वीकार करें। पश्चाताप करें। शुद्ध हो जाइए। और आप दानिएल के समान अतिप्रिय में ग्रहण किए जाएंगे।

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