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At the heart of WLC is the true God and His Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

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सोचते हैं कि क्यों बुरे चीज़े होते हैं?

इस दुख भरी दुनिया में, दुखी दिल जानना चाहता है कि, क्यों? अगर याहुवाह प्रेम हैं, तो क्यों बुरे चीज़ें होने से नहीं रोकते हैं?

वास्तव में, बहुत अच्छे वजह हैं कि क्यों याहुवाह हमेशा त्रासदियों को रोकता नहीं है, लेकिन वह हमेशा हर कदम पर मजबूत और प्रोत्साहित करने के लिए मौजूद रहता है।

आदमी और पहाड़

एक युवक समस्याओं से उलझा हुआ और हारा महसूस कर रहा था। उसकी दादी ने, उसकी निराशा को देखते हुए उससे कहा: “बेटा, अगर पहाड़ चिकना होता, तो तुम उस पर नहीं चढ़ सकते!”

हम सभी को आसान ज़िन्दगी पसंद है। हम चिंता-मुक्त रहना पसंद करते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि जीवन समस्याओं से भरा हुआ है, और त्रासदियाँ होती रहती है। बहुत से लोग, जब दुःख से भर जाते हैं, या दर्द में से होकर गुज़रते हैं, तो वे सवाल करना शुरू कर देते हैं कि: “क्यों? ये क्यों हो रहा है? जब याहुवाह की जरूरत है, तो वह कहाँ है? यदि वह सर्व-शक्तिशाली है, तो उसने ऐसा क्यों होने दिया? ”

इन सवालों से विश्वासियों को अक्सर असहज महसूस होता है। वे पीड़ित व्यक्ति को बताएंगे कि जो वे महसूस करते हैं याह भी वह महसूस करता है और चीज़ें उसके नियंत्रण में है; वे संघर्ष कर रहे व्यक्ति को चेतावनी देते हैं कि संदेह का दरवाज़ा न खोलें… लेकिन एक चीज जो वे नहीं करते हैं वह वास्तव में इन सवालों का जवाब देना।

हाँ, ये कठिन प्रश्न हैं। लेकिन वे उचित भी हैं। और अच्छी खबर यह है कि, यहुवाह के पास उत्तर हैं। वह जीवन के कठिन सवालों से नहीं डरता। “आओ, हम इन बातों पर विचार करें।” वह आमंत्रित करता है। (देखें ‌यशायाह १:१८; HINDI-ERV)

निम्नलिखित छह कारण हैं कि क्यों याहुवाह बुरी चीजों को होने देता है।

१. विश्वास में बढ़ने के लिए!

हे मेरे भाइयो, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जानकर कि तुम्हारे विश्‍वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ, और तुम में किसी बात की घटी न रहे। (याकूब १:२-४; HINDI-BSI)

परीक्षाओं का होना विश्वास में बढ़ने के अवसर होते हैं! जब मुसीबतें आती हैं, तो हम चुनाव कर सकते हैं: हम या तो बड़बड़ा सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं, या हम विश्वास और यकीन का अभ्यास करने का चुनाव कर सकते हैं। जब हम भरोसा करना चुनते हैं, तो यह याहुवाह को हमारे चरित्रों को विकसित करने का अवसर देता है जो स्वर्ग के iलिए योग्य बनाते हैं। उद्धार के लिए आभारी होना प्यार विकसित करता है। प्रेम विश्वास को जगाता है, जो याह में विश्वास करने को प्रेरित करता है।

औरत सोच रही

२. आपने नहीं पूछा!

यह अजीब लग सकता है, पर कभी-कभी चीजों को होने की अनुमति इसलिए दी जाती है, क्योंकि किसी ने भी पुछने के लिए सोचा नहीं था! हमारे प्रार्थना जीवन में आलसी बनना आसान हो सकता है। हम सोचते हैं, “मुझे माँगने की ज़रूरत नहीं है। याह मेरी ज़रूरतों को वैसे भी पूरा करेगा क्योंकि वह जानता है कि मुझे क्या चाहिए। “

यह पहले से ही अनुमान लगना है। कई बार याहुवाह अपने बच्चों के लिए हस्तक्षेप करना चाहता है लेकिन वह नहीं कर सकता क्योंकि किसी ने नहीं पूछा।

यहेजकेल २२ में एक चौंकाने वाली बात दर्ज है। यरूशलेम के विनाश के बारे में बात करते हुए, याहुवाह ने यहूदा के पापों को याद किया और फिर यहेजकेल को बताया: “मैं ने उन में ऐसा मनुष्य ढूँढ़ना चाहा जो बाड़े को सुधारे और देश के निमित्त नाके में मेरे सामने ऐसा खड़ा हो कि मुझे उसका नाश न करना पड़े, परन्तु ऐसा कोई न मिला।” (यहेजकेल २२:३०; HINDI-BSI)

यह चौंकाने वाली बात है! यह कहना कि अगर याहुवाह ने एक भी व्यक्ति पाया होता जो “बाढ़े का सुधाराक” बनकर इस्राएल के लिए प्रार्थना कर सकता, तो याहुवाह उनपर दंडआज्ञा देने में विलंब करता। वास्तव में, वह चाहता भी यही था! उन्होंने तत्परता से कोई भी एक सिर्फ एक व्यक्ति को तलाशा जो खुद को नम्र कर सके और प्रार्थना कर सके और याह के आशीषों को पा सके। पर ऐसा करने वाला उसे कोई नहीं मिला। अगले वचन दु:खद रूप से निष्कर्ष देता है : “इस कारण मैंने उन पर अपना रोष भड़काया और अपनी जलजलाहट की आग से उन्हें भस्म कर दिया है; मैंने उनकी चाल उन्हीं के सिर पर लौटा दी है, याहुवाह की यही वाणी है।” (यहेजकेल २२:३१; IRVHIN)

३. आप गलत कारणों के लिए पूछ रहे हैं!

प्रार्थना करना की याद रखना ज्यादातर लोगों के लिए कोई समस्या नहीं है। वास्तव में, परीक्षाओं के दौरान ही ज्यादातर लोग प्रार्थना करते हैं! इसका मतलब यह नहीं है कि उनके सभी प्रार्थनाओं का जवाब दिया जाता है। याकूब कभी-कभी प्रार्थना को अनुत्तरित होने के लिए एक आकर्षक अंतर्दृष्टि देता है : “तुम्हें इसलिए नहीं मिलता, कि माँगते नहीं। तुम माँगते हो और पाते नहीं, इसलिए कि बुरी इच्छा से माँगते हो, ताकि अपने भोग-विलास में उड़ा दो।” (याकूब ४:२-३; IRVHIN)

यदि आपकी प्रार्थनाओं के उत्तर नहीं मिल रहे हैं, तो विश्लेषण करें कि क्या आप अपने लिए पूछ रहे हैं। किसी और के लिए माँगने की कोशिश करें। याह के लिए माँगने की कोशिश करें! और हर चीज में, उनकी इच्छा पूरी होने की माँग करें।

आदमी प्रार्थना कर रहा

४. याह आपकी रक्षा कर रहा है!

अपने पहाड़ी उपदेश में, उद्धारकर्ता ने अपने सुननेवालों से प्रार्थना करने और प्रार्थना करते रहने का आग्रह किया। लेकिन फिर उसने स्पष्ट भी किया कि हम हमेशा उन उत्तरों को प्राप्त क्यों नहीं कर सकते हैं जो हम चाहते हैं।

“माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा। “तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उससे रोटी माँगे, तो वह उसे पत्थर दे? या मछली माँगे, तो उसे साँप दे? अत: जब तुम बुरे होकर, अपने बच्‍चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों न देगा” (मत्ती ७:७-११ HINDI-BSI)

याहुवाह भविष्य जानते हैं; हम नहीं। हमारी अज्ञानता में, हम सोच सकते हैं कि हमें कुछ ऐसा चाहिए जो वह जानता हो कि वास्तव में हमें नुकसान पहुँचाएगा। क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है और हमारी खुशी चाहता है, वह कभी भी ऐसा कुछ नहीं देगा जिससे हमें नुकसान हो। याहुवाह पर भरोसा करें, कि वह आपको किसी भी उस चीज़ से जो आखिर में होने वाली स्थिति के तुलना में जिसका आप वर्तमान में सामना कर रहे हैं, उस हानि से आपको सुरक्षित रखेगा ।

५. ताकि आप याहुवाह पर भरोसा करना सीखें!

परीक्षाओं को अनुमति देने का एक मुख्य कारण है कि हम याहुवाह पर पूरी तरह से भरोसा करना सीखेंगे। इस पाठ को शांति और समृद्धि में सीखा नहीं जा सकता। इसे केवल अनुभव के माध्यम से सीखा जा सकता है: दर्दनाक अनुभव।

व्यवस्थाविवरण १३:४ विश्वासी के जीवन का वर्णन करता है: “तुम अपने एलोआह याहुवाह के पीछे चलना, और उसका भय मानना, और उसकी आज्ञाओं पर चलना, और उसका वचन मानना, और उसकी सेवा करना, और उसी से लिपटे रहना।” (HINDI-BSI)

चालीस साल के जंगल में भटकने के दौरान, इस्राएल की संतान को बार-बार मुश्किल में लाया गया, और यहाँ तक ​​कि एक कारण और एक ही कारण के लिए जीवन के ख़तरे की स्थिति में लाए गए : ताकि वे हर मुसीबत में मदद के लिए याहुवाह की ओर मुड़ना सीखेंगे।

याहुवाह के लिए हमारे माँगने से पहले ही उसे पूरा करना उतना ही आसान है जितना कि हमारे माँगने के बाद पूरा करना, लेकिन अगर वह ऐसा करता, तो हम विश्वास के महत्वपूर्ण पाठ और उस पर निर्भर रहना कभी नहीं सीखेंगे जो हमारे आत्मिक उन्नति के लिए बहुत ज़रूरी है।

खेत में उपर देखना

६. याहुवाह के दिमाग में कुछ बेहतर है।

याहुवाह की आशाएँ आपके लिए एक ही इच्छा में सम्मिलित हैं: वह चाहता है कि आप खुश रहें। बस! वह चाहता है कि आपका दिल खुशी से गाएँ। यह देखना मुश्किल हो सकता है और यहां तक ​​कि भरोसा करना मुश्किल हो सकता है, जब आपने अपनी नौकरी खो दी है, या आपका जीवन आपके आँखों के साम्हने बिखर रहा लगता है, लेकिन यह सच है।

“क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अंत में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा” (यिर्मयाह २९:११; HINDI-BSI)

होने वाले पति-पत्नी

आपके पास अपने जीवन की योजनाएं हैं, तो आपके स्वर्गीय पिता, याहुवाह के पास भी हैं। और, अपने पूर्वज्ञान में, अपनी इच्छाओं और जरूरतों के बारे में उनके अंतरंग ज्ञान के साथ, आप उन सभी चीजों पर भरोसा कर सकते हैं जो सबसे अच्छा है।

आपके जीवन में तनाव क्या हैं? न चुकाए गए बिल? नौकरी की असुरक्षा? स्वास्थ्य की समस्या? क्या आपने अपने किसी करीबी को खो दिया है? या ऊपर के सभी बातें? सब बातों में, आप अपने स्वर्गीय पिता के प्यार, करुणा और भली इच्छा पर भरोसा कर सकते हैं। उसका प्यार असीम है और वह आपकी भलाई के लिए सभी काम कर रहा है।

“तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियाँ पुष्‍ट रहेंगी।” (नीतिवचन ३:५-८;HINDI-BSI)

अपने मार्ग की चिंता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा। (भजन संहिता ३७:५ HINDI-BSI)

आदमी और चाँद

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