World's Last Chance

At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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विलापगीत से आशा!

विलापगीत की पुस्तक में विश्वास और आशा की एक शक्तिशाली पाठ है, जो पुष्टि करता है कि याहुवाह ऐसे परमेश्वर हैं जो अपने सभी वादों को पूरा करता है।

पुल के नीचे धंसा हुआ ट्रकएक डिलीवरी ट्रक ड्राइवर, अपने ट्रक के ऊपर की जगह की मात्रा का गलत अनुमान लगाते हुए, उसने एक पुल के नीचे ट्रक को घुसाने में कामयाब रहा। जल्द ही पुलिस आ गई। शहर के इंजीनियर को बुलाया गया। पुल को अपूरणीय हानि पहुँचाए बिना ट्रक को कैसे निकाला जाए, यह एक जटिल समस्या थी। एक छोटा लड़का, सारी हलचल से आकर्षित होकर, जब उसने सुना कि बड़े लोग इतने उलझन में थे तो वह हैरान हो गया।

“आप टायरों से हवा क्यों नहीं निकाल देते?” उसने तथ्यात्मक रूप से पूछा। चुनौतीपूर्ण स्थिति का इतना सरल समाधान! हम अक्सर अपने ही संकीर्ण दृष्टिकोण पर इतने केंद्रित हो जाते हैं कि महत्वपूर्ण पाठ चूट जाते हैं। ऐसे समय में, हमें एक कदम पीछे हटकर और अपना ध्यान एक अलग परिप्रेक्ष्य पर केंद्रित करने की आवश्यकता है।

परिक्षा के समय

परीक्षा के समय हमारे विश्वास को चुनौती देते हैं। बच्चे की मौत, रिश्तों का टूट जाना, यहाँ तक कि नौकरी का खो जाना भी हमें भ्रमित कर सकता है, लड़खड़ा सकता है या जीवन के मुद्दे पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है। ऐसे समय में, यह सोचना बहुत आसान है कि क्या याहुवाह को वास्तव में परवाह है। कुछ लोग सवाल करते हैं कि क्या याहुवाह उन्हें पिछली गलतियों के लिए दंडित कर रहा है। यदि हम सावधान नहीं हैं, तो दर्द और असुरक्षा के समय हमारे विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन यह ज़रूरी नहीं है! हमें बस अपना दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है, और यहीं पर विलापगीत की पुस्तक आती है।

याहुवाह को त्यागने के दैवीय निर्णय के रूप में यहूदा को आसन्न बेबीलोन के आक्रमण की चेतावनी देने में यिर्मयाह ने अपना जीवन बिताया था। अंततः, लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय आ गया, और यहूदा खंडहर हो गया, इसके लोगों को एक विदेशी भूमि पर ले जाया गया। यिर्मयाह की हृदय-विदारक पीड़ा विलापगीत के शुरुआती शब्दों में स्पष्ट है:

जो नगरी लोगों से भरपूर थी
वह अब कैसी अकेली बैठी हुई है!
वह क्यों एक विधवा के समान बन गई?
वह जो जातियों की दृष्टि में महान
और प्रान्तों में रानी थी,
अब क्यों कर देने वाली हो गई है।

यहूदा दु:ख और कठिन दासत्व से
बचने के लिये परदेश चली गई;
परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती;

उसके द्रोही प्रधान हो गए,
उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं,
क्योंकि याहुवाह ने उसके बहुत से अपराधों के कारण
उसे दु:ख दिया है; । (विलापगीत १:१,३,५; HHBD)

यदि किसी के पास याहुवाह द्वारा पूरी तरह से त्यागे जाने महसूस करने का कारण था, तो वह यहूदा के लोग थे।

पहाड़ और सूर्योदय

और फिर भी, उसके सबसे अंधकार के समय में, यिर्मयाह ने आशा देखी, और उसने इसे ऐसे जगह पर देखा जहाँ से आशा की कोई उम्मीद नहीं थी!

याहुवाह अपने वादे रखते हैं

गलती न करें, यिर्मयाह महसूस कर रहा था की याहुवाह ने उसे त्याग दिया है। उसने विलाप किया,

उसके रोष की छड़ी से दु:ख भोगने वाला पुरुष मैं ही हूं;
उसका हाथ दिन भर मेरे ही विरुद्ध उठता रहता है।
मैं चिल्ला चिल्लाके दोहाई देता हूँ, तौभी वह मेरी प्रार्थना नहीं सुनता;” (विलापगीत ३:१,३,८; HHBD)

और फिर भी, अपने दुख के बीच भी, यिर्मयाह याहुवाह के स्वभाव के अपने ज्ञान पर कायम रहा। वह जानता था कि वह प्रेम के परमेश्वर की सेवा करता है।

मेरा दु:ख और मारा मारा फिरना, . . . मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है।
परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ,
इसीलिये मुझे आाशा है:
हम मिट नहीं गए;
यह याहुवाह की महाकरुणा का फल है,
क्योंकि उसकी दया अमर है।
प्रति भोर वह नई होती रहती है;
तेरी सच्चाई महान है।

मेरे मन ने कहा, याहुवाह मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।
जो याहुवाह की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं,
उनके लिये याहुवाह भला है।
याहुवाह से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है। ( विलापगीत ३:१९-२६; HHBD)

सूर्योदय

याहुवाह के प्रेम के स्वभाव को याद करने से यिर्मयाह को स्पष्ट हो गया कि यहूदा का विनाश स्वयं इस बात का प्रमाण था कि याहुवाह अपने वादों को पूरा करता है!

व्यवस्थाविवरण २६ में मूसा ने इस्राएल को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि अगर वे याहुवाह को छोडकर अन्य देवाताओं के ओर मुड़ें तो क्या होगा। मूसा ने भविष्यवाणी की थी कि उनका देश पूरी तरह से विनाश हो जाएगा, जिससे अन्य राष्ट्र भयभीत हो जाएंगे।

“और सब जातियों के लोग पूछेंगे कि याहुवाह ने इस देश से ऐसा क्यों किया? और इस बड़े कोप के भड़कने का क्या कारण है?”

तब लोग यह उत्तर देंगे, कि उनके पूर्वजों के ऐलोहीम याहुवाह ने जो वाचा उनके साथ मिस्त्र देश से निकालने के समय बान्धी थी उसको उन्होंने तोड़ा है। और पराए देवताओं की उपासना की है जिन्हें वे पहले नहीं जानते थे, और याहुवाह ने उनको नहीं दिया था।” (व्यवस्थाविवरण २९: २४-२६)

यिर्मयाह को एहसास हुआ कि बाबुल द्वारा यहूदा का भयानक विनाश स्वयं याहुवाह के वादों की पूर्ति थी! अपने दृष्टिकोण को बदलना, यिर्मयाह को यह आश्वासन दिया कि उसे याहुवाह पर भरोसा करना था, क्योंकि अगर याह ने धर्मत्याग के लिए इस्राएल को नष्ट करने के अपने वादे को निभाया, तो जब वे एक बार फिर उसकी ओर मुड़े तो वह इस्राएल को बहाल करने के अपने वादे को भी निभाएगा।

क्योंकि याहुवाह मन से
सर्वदा उतारे नहीं रहता,
चाहे वह दु:ख भी दे,
तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण
वह दया भी करता है;
क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है
और न दु:ख देता है। (विलापगीत ३:३१-३३; HHBD)

उन्होंने जो दूसरों के लिए किया है, वो आपके लिए भी करेगा

दुःखी औरतयह तथ्य कि हम पाप की दुनिया में जी रहे हैं, इस बात की पुष्टि है कि, जीवन में किसी समय पर, हम दिल दहला देने वाला दुःख, भ्रम और हानि का अनुभव करेंगे। याहुवाह का वचन हमें चेतावनी देता है कि “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है,” (रोमियो ६:२३; HHBD) हम पाप की दुनिया में पीड़ा सहने में अद्वितीय नहीं हैं। पौलुस ने कहा : “क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।” (रोमियो ८:२२; HHBD) पीड़ा का हमेशा यह मतलब नहीं होता कि हमें याहुवाह द्वारा दंडित करने के लिए चुना गया है। उस शैतानी झूठ में न फंसें। कष्ट तो बस पापी संसार में जीने का एक हिस्सा है; यह वही है जिससे याहुशुआ हमें सबसे पहले बचाना चाहता था! और जितना अधिक हम समर्पण करेंगे, जितना अधिक हम अपने जीवन को उसकी इच्छा के अनुरूप लाएंगे, हम उतने ही अधिक खुश होंगे। (देखें इब्रानी १२: १-८; HHBD)

लेकिन यह तथ्य कि पाप दुख लेकर आया है – जैसा कि याहुवाह ने चेतावनी दी थी कि ऐसा होगा – स्वयं इस बात का प्रमाण है कि याहुवाह अपने वादों को पूरा करता है। चाहे भविष्य कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, चाहे आप कितने भी कष्ट में हों, आप याहुवाह को उनके वादों को पूरा करने के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं। वह याहुशुआ को अपना शाश्वथ राज्य स्थापित करने के लिए भेजेगा। “और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।” (प्रकाशित वाक्य २१:४; HHBD)

विलापगीत से आशा

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