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क्रिसमस: आरंभ, इतिहास और परम्पराएं

“होलिडे।” शब्द ज्यादातर लोगों के लिए एक उत्सव के लिए लागू किया जाता है खास तौर पर…क्रिसमस!

शब्द “होलिडे” की परिभाषा एक धार्मिक तत्व को प्रगट करती है। जिससे सभी लोग अंजान है।

होलिडे: “एक धार्मिक त्यौहार; [एक] पवित्र दिन।” (Webster’s New Universal Unabridged Dictionary)

क्रिसमस एक धार्मिक उत्सव है। आधुनिक उत्सव के सभी व्यापारिक साजों-सामान के बावजूद, क्रिसमस, दिल में, एक धार्मिक उत्सव बना रहता है। यह एक मौका है जब एक ईश्वर को याद और आदर किया जाता है।

मसीही लोग जीसस (यीशु) के जन्म को क्रिसमस के समय पर मनाते है। वे “कभी दिये गये महानतम दान” के आदर में उपहारों का आदान-प्रदान करते है। वे कहते है: “Jesus is the reason for the seasons!!” और मसीहा को वापस क्रिसमस में डालने की बात करते है।

समस्या यह है कि: यहुशूआ उद्धारकर्ता क्रिसमस के आरम्भ के साथ “में” कभी भी नहीं था । जबकि धर्मशास्त्र मुक्तिदाता की जन्मतिथि उपलब्ध नहीं करता है। ज्यादातर विद्वान सहमत है कि वह शरद् ऋतु में पैदा हुआ था, 25 दिसम्बर को नहीं।

यह खोजने के लिए कि क्रिसमस पर मौजूदा ईश्वर को सम्मानित किया जाता है, यह आवश्यक है कि इसके बुतपरस्त मूल का पता लगाया जाये।

25 दिसम्बर पर उत्सव मनाये जाने का आरम्भ बाढ़ के तुरंत बाद ही निर्मोद के पुनर्जन्म का रुप तम्मुज के जन्म के साथ शुरु हुआ। आज की क्रिसमस परम्पराएँ सीधे प्राचीन बेबीलोन और बुतपरस्त रोम से आती है।

शनि का बुत
शिशु बलि के शिकार के साथ शनि

रोमी लोग ईश्वर शनि का आदर, Saturnalia कहलाये जाने वाले एक सप्ताह लम्बे उत्सव के द्वारा दिसम्बर में करते थे। शनि रोम का, फसल कटाई और समय का देवता था, इसलिये उसे साधारणतया एक हँसुआ पकड़े हुए दर्शाया जाता था। सभी क्रूर देवताओं में वो सबसे अधिक निर्दयी ओर दुष्ट था। वह शिशु बलि की मांग करता था।

अकेले रोमी लोग इस दुष्ट देवता की उपासना नहीं करते थे। शनि की उपासना पुरातन संसार में भी प्रचलित थी। यहां तक की इस्त्राएली भी जब वे स्वर्ग के खिलाफ विद्रोह में थे, शनि की उपासना करते थे। ईश्वर जिसकी उपासना इस्त्राएल स्वधर्म त्याग में करते थे, शनि देव ही था। (बाईबल में जिसे रिफान, मोलेक और कैवन के रूप में संदर्भित किया गया है।) यहां तक की इस्त्राएली अपने बच्चों को इस नीच, रक्त के प्यासे देवता को बलि के रुप में चढ़ाते थे।

शनि [रुचि] अफ्रीकी बुतपरस्ती का विजेता बन गया था…वास्तव में…बाल-हम्मोन के रुप में Phoenician Carthage में, वह शिशु बलिदान की वस्तु था…हालाँकि एक फलदायक ईश्वर, शनि-बाल…के बावजूद भी वह निष्ठुरता में बलपूर्वक बलि ले लेता था।” (Quodvultdeus of Carthage, translation and commentaries, Thomas Macy Finn. pp 14 & 15.)

भले ही रोमी लोगों ने काफी पहले मानव बलिदान छोड़ दिया, दिसम्बर में saturnalia समारोह के दौरान योद्धाओं के द्वारा रक्त अभी भी बहाया जाता था। Saturnalia एक धार्मिक उत्सव था और सब यह समझते थे कि योद्धाओं के द्वारा रक्त बहाया जाना शनि को बलिदान चढ़ाया जाना था।

योद्धाओं के द्वारा किये गये तमाशे [शनि के लिए] पवित्र थे।” (John D. fuss, Roman Antiquities, p 359)

“रंगभूमि अपने योद्धाओं के लिये खुद दावा करती है, कि दिसम्बर के अंत में वे अपने रक्त से, हँसुआ धारण किये हुए स्वर्ग के पुत्र [शनि] को संतुष्ट करते थे।” (Asusonious, eclog, I.p. 156)

योद्धा saturnalia पर लड़ते थे, और…उन्होंने ऐसा शनि को शांत और संतुष्ट करने के उद्देश्य से किया।” (Justus Lipsius, tom. ii.Saturnalia Sermonum Libri Duo, Qui De Gladiatoribus, lib.i. cap. 5)

सिद्धांत जिस पर [योद्धाओं के] ये तमाशे होते थे संचालित किये गये थे…[जो] वे संतुष्ट योग्य बलिदान के रूप में मनाते थे…इस तरह की पुरुषों की भीड़ का वध रोमी अवकाश बनाने के लिये कर दिया जाता था।” तब यह याद किया जाता है कि शैतान खुद टुकड़ो में काट दिया गया था, यह देखना आसान है कैसे उसके जन्मदिन पर आदमियों के एक दूसरे को काटने में निर्धारण के द्वारा उसे एक स्वागत बलिदान चढ़ाने का विचार उठा होगा, उसके पक्ष को संतुष्ट करने के रूप में। (Alexander Hislop,The Two Babylons, p. 153)

हिंसा और रक्तपात के बावजूद, Saturnalia एक उत्सव मनाने और विवाह रचाने का समय था। इस अत्यधिक खून के प्यासे ईश्वर के आदर में प्राचीन काल में मनाए जा रहे बहुत से उत्सव आज भी समस्त संसार में क्रिसमस की परम्पराओं के रूप में मनाया जा रहे है।

इन परम्पराएँ को शामिल करते है:

  • क्रिसमस के बारह दिन
  • संध्या में जेवनार आयोजित की जाती थी
  • क्रिसमस पेड़ो को प्रकाश से सजाया जाता था (असलियत में, शिशु के शिकारो के जलाये हुए शरीरों की चर्बी से मोमबत्तियां बनायी जाती थी)
  • क्रिसमस पेड़ो में बॉल लटकायी जाती थी (प्राचीन काल में बलि किये हुए शिकारो के कटे सिर होते थे)
  • शोरगुल मचानेवालो के साथ दावतें
  • उपहारों का आदान-प्रदान
  • अमर बेल के नीचे चुम्बन
  • पवित्र जामुन (ईश्वरों का भोजन)
  • सदाबहार टहनी
  • घर-घर जाकर आनंद गीत गाना (असलियत में बेलगाम व्यवहार में नग्न गायकों द्वारा किया जाता था)
  • “दूसरे आगमन” के लिए मोमबत्तियां
  • सेन्टा रोते बच्चे के साथक्रिसमस शुभकामनाएँ पत्र
  • ….और भी बहुत।

यहां तक की क्रिसमस फादर की कल्पना, या सांता क्लाउस, शनि की विचित्र समानता धारण करता है: एक बुढ़ा आदमी, लम्बी दाढ़ी के साथ, बच्चों से घिरा हुआ।

शनि, दुष्ट, शिशु-बलि की मांग करने वाला बुढ़ा आदमी, आधुनिक समाज में दो और पोशाकों में दिखायी देता है। प्रत्येक दिसम्बर में शनि, समय का देवता “ओल्ड़ फादर टाइम” के रूप में फिर से उभरकर आता है। बेबी नव वर्ष बाल-शिकार का एक प्रतीक है।

एक डरावना प्रतिनिधित्व, समय का पिता एक नव वर्ष के बेबी के साथ 19वी शताब्दी के इस उदाहरण में पाया जा सकता है। (नीचे)। समय का ईश्वर (शनि, समय का ईश्वर के रूप में), एक बड़ी घड़ी के सामने अपना हँसुआ पकड़े हुए खड़ा है। पुराने वर्ष कब्र में कफन में लिपटे पूर्ण विकसित शरीर के समान बीत रहे है। नया वर्ष एक नन्हे बच्चे के समान आ रहा है। जबकि चित्र काफी अंधकारपूर्ण है, छोटे बच्चे पर आग से रोशनी हो रही है और दूसरी तरफ धुएँ के छल्ले है। आने वाले नए वर्षों को अभी भी बलि के लिए तैयार बच्चों के रूप में चित्रित किया गया है। शिशु बलि के शिकार बच्चे को हमेशा इतने अधिक पोषक तत्वों से ढँक दिया जाता था ताकि उनके माता-पिता पहचान ही न पाये कि उनका बच्चा जलाया गया था। इस वीभत्स ईश्वर के सभी विकृत तत्वों को इस चित्र में दिखाया गया है।

फादर टाइम

आधुनिक समाज में शनि भी अपने उजाड़ में आत्माओं की फसल इकट्ठे करनेवाले के रूप में उभरकर आता है। आधुनिक समाज में बहुत कम लोगों ने स्वीकार किया है कि फादर क्रिसमस, इस भयानक मृत्युकारी और “ओल्ड़ फादर टाइम” के अलावा सभी देवताओं में कोई और दूसरा घृणास्पद नहीं। हालांकि, एक प्राचीन तुरंत स्वीकार करेगा कि यह शनि को छोड़ और कोई दूसरा नहीं। लक्षण जोकि शनि की पहचान करते है वे वही है जो समय का बूढ़ा फादर और मृत्युकारी: हँसुआ और समय के टुकड़ो को चिन्हित करने की पहचान करते है।

कुछ ईमानदार लोगों द्वारा शनि का आदर करते हुए मूर्तिपूजक होलिडे से जुड़े रहने की आज बहुत सी दलीलें दी गयी है।

  • “क्रिसमस परिवार के साथ बिताने के लिए एक अद्भुत समय है। हम वर्ष भर इतना व्यस्त रहते है यह वास्तव में सिर्फ एक ही मौका है हमारे एकत्रित होने का।

  • “क्रिसमस गवाही देने के लिए बहुत ही बढ़िया दिन है! वर्ष के इस समय लोग ज्यादातर सार्वजनिक होते है, तो मैं इसका उपयोग गवाही साझा करने के अवसर के रूप में करूंगा।”

  • “क्रिसमस ही एकमात्र ऐसा होलिडे है जो जीसस को केन्द्रित करता है।”

  • “मैं जानता हूँ जीसस उस समय में पैदा नहीं हुआ, मुझे धोखा नहीं दिया गया। इसके अलावा, मैं किसी मूर्तिपूजक ईश्वर की उपासना नहीं कर रहा हूँ, इसलिए मेरे लिए यह सब ठीक है!”

शनि क्रोरोनुस
मूर्तिपूजक तो सृष्टिकर्ता यहुवाह से अंजान थे। वे पिशाचो की उपासना करते थे क्योंकि वे इससे बेहतर नहीं जानते थे! आज क्रिसमस के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता।

धर्मशास्त्र सिखाता है कि:

इसलिये [यहुवाह] अज्ञानता के समयों में आनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। (प्रेरितो के कार्य 17:30)

यह जानकर कि क्रिसमस एक मूर्तिपूजक होलिडे है, यह जानकर कि आधुनिक संस्कार प्राचीन मूर्तिपूजक संस्कारों के प्रतिरूप है जो शनि को आदर देते है, और फिर भी पाप से छुटकारे का दावा करना, क्योंकि किसी को ये पता है यह अत्यंत ही असंगत है।

क्रिसमस सचमुच एक होलिडे है: एक धार्मिक उत्सव। दुष्ट ईश्वर शनि का आदर करने के द्वारा स्वर्ग और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता यहुवाह का अनादर होता है।

उद्धारकर्ता ने स्वयं ही एक पवित्र सिद्धांत बताया जब उसने कहा:

कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, व एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा; “तुम..[यहुवाह] और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।” (मत्ती 6:24)

शनि के पास और दूसरे झूठे ईश्वरों से कही अधिक शैतान के समान गुण है। क्रिसमस उसका धार्मिक उत्सव है। क्रिसमस उत्सव में भाग लेना इस दुष्ट शैतानी देवता को आदर देना है।

पथभ्रष्ट इस्त्राएल के साथ-साथ मसीहियो के लिए, एक प्रेमी पिता के शब्द आज भी जोर से गूंजते है:

“इस में तो सन्देह नहीं कि जैसे विश्वासघाती स्त्री अपने प्रिय से मन फेर लेती है, वैसे ही हे इस्राएल के घराने, तू मुझ से फिर गया है…[यहुवाह] की यही वाणी है…क्योंकि वे टेढ़ी चाल चलते रहे हैं और अपने…[वाचा का पालन करने वाले, यहुवाह] को भूल गए हैं। हे भटकने वाले लड़कों, लौट आओ, मैं तुम्हारा भटकना सुधार दूंगा।” (यिर्मयाह 3:20-22)

मूर्तिपूजक रीतियों में भाग लेना सृष्टिकर्ता का अनादर करना है। अपने प्रेमी छुटकारा देने वाले के पास लौट आओ।

“और मसीह का बलियाल [दुष्टता] के साथ क्या लगाव? या विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता? और मूरतों के साथ…[यहुवाह] के मन्दिर का क्या सम्बन्ध? इसलिये…[यहुवाह] कहता है, कि उन के बीच में से निकलो और अलग रहो; और अशुद्ध वस्तु को मत छूओ, तो मैं तुम्हें ग्रहण करूंगा।” (2कुरिन्थियों 6:15-17)

उनके बीच में से निकल आओ! जो अशुद्ध है उसे मत छुओं! क्या आप बाहर आएंगे?

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