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At the heart of WLC is the true God and His Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

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जयवन्त होने के सिद्धांत

आज आप किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं? क्या आप या आपका कोई प्रियजन स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है? पारिवारिक समस्याएं? शायद कार्यस्थल पर समस्याएँ हों या हो सकता है कि आप किसी गलती के परिणाम से जूझ रहे हों। क्या आप चिंता से जूझते हैं? समस्या चाहे जो भी हो जिसका का सामना आप कर रहे हैं, पवित्रशास्त्र ऐसे सिद्धांत प्रस्तुत करता है जो आपको इससे निपटने के लिए ज्ञान देगा।

अलास्का में पहाड़

जब मैं इस बात से अनभिज्ञ था कि जीवन वास्तव में कैसे चलता है, तो मैं मान लिया कि यदि मैं इस कठिनाई या उस कठिनाई को पार कर लूँ, तो जीवन सुचारू और आसान हो जाएगा। मैं शायद धीमी गति से सीखने वाला व्यक्ति हूं, क्योंकि मध्य आयु पहुंचने से पहले तक मुझे यह एहसास नहीं हुआ कि जीवन – या कम से कम मेरा जीवन – ऐसा नहीं था। अब मुझे एहसास हुआ है कि किसी की भी जिंदगी ऐसी नहीं है। परीक्षाएँ और मुसीबतें, परेशानियाँ और संघर्ष केवल मानवीय अनुभव का हिस्सा है | मसीह ने स्वयं स्वीकार किया, “संसार में तुम्‍हें क्‍लेश सहना पड़ेगा।” (योहन 16:33; HINCLBSI)

बेशक इसका एक कारण है, “क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।” (विलापगीत 3:33 HHBD) कारण यह है कि संघर्ष हमें अपने व्यक्तित्व को विकसित करने का अवसर देता है। लेखक रॉबर्ट ट्यू ने सटीकता से देखा, “आज आप जिस संघर्ष में हैं, वह आपके कल के लिए आवश्यक ताकत विकसित कर रहा है|”

कई लोग जब किसी समस्या से परेशान हो जाते हैं तो उससे दूर भागते हैं। वे विभिन्न तरीकों से भागने की कोशिश कर सकते हैं : फिल्में, उपन्यास, कंप्यूटर गेम, शराब पीना, ड्रग्स, इत्यादि | वे समस्या के अस्तित्व को भी नकार सकते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें डर है कि वे नहीं जानते कि उस परिस्थिति से कैसे निपटें |

सच तो यह है कि कब संकट आ जाए या कोई समस्या खड़ी हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। वे जीवन का बस एक हिस्सा हैं जिसकी अपेक्षा की जानी चाहिए | समस्याओं की एकमात्र अश्वासन यह है कि वे हर किसी के पास हैं और यदि आपके पास नहीं हैं तो? खैर, बस इंतजार करें। आपको भी कोई न कोई सम्सया उत्पन्न होगी | परिणामस्वरूप, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विश्वासी अपने सामने आने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए आध्यात्मिक साधन विकसित करें |

याहुवाह विजयी !

आखिरकार, कोई फर्क नहीं पड़ता कि संकट या समस्या क्या है, यदि आपके पास उससे निपटने के लिए बुद्धि, शक्ति, ताकत, संसाधन या [कुछ] भी नहीं है। ये सभी समस्याएं केवल एक ही उद्देश्य के लिए हैं और वह हमें यह सिखाने के लिए है कि हम मदद के लिए अपने स्वर्गीय पिता पर भरोसा कर सकते हैं। अच्छी खबर? याहुवाह ने कभी हार नहीं देखी है! वह एक विजयी परमेश्वर है। पौलुस ने इस ज्ञान से आनन्दित होते हुए कहा “तो इसे देखते हुए हम क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है तो हमारे विरोध में कौन हो सकता है? उसने जिसने अपने पुत्र तक को बचा कर नहीं रखा बल्कि उसे हम सब के लिए मरने को सौंप दिया। वह भला हमें उसके साथ और सब कुछ क्यों नहीं देगा?” (रोमियों 8:31-32; ERV-HI)

यहुवाह न केवल विजयी है, बल्कि यह उसकी इच्छा है कि उसके लोग भी विजयी हों| हमारा परमेश्वर में यह विश्वास है कि यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार उससे विनती करें तो वह हमारी सुनता है और जब हम यह जानते हैं कि वह हमारी सुनता है चाहे हम उससे कुछ भी माँगे तो हम यह भी जानते हैं कि जो हमने माँगा है, वह हमारा हो चुका है।” (1 यूहन्ना 5 : 14-15 ERV-HI)

चढ़ना

यहोशू और एमोरी लोग

एमोरियों के साथ यहोशू की लड़ाई की कहानी इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे कोई भी व्यक्ति कठिन मुश्किलों पर विजय पाने के लिए बाइबल के सिद्धांतों का इस्तेमाल कर सकता है। जब यहोशू को अपने विरुद्ध पांच राजाओं के एकजुट होने के खतरे का सामना करना पड़ा, तो उसने पांच कार्य किया, जिसके परिणामस्वरूप इस्राएल को अंततः विजय प्राप्त हुई।

पहला कदम : उन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्थिति को लंबा नहीं खिंचने दिया और न ही जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की। उन्होंने तुरंत अगला कदम उठाया।

दूसरा कदम : उस ने दिव्य ज्ञान की खोज की। यह किसी भी तरह के जीत के लिए महत्वपूर्ण है। बाइबल में हमारे लिए ज्ञान है, लेकिन हमें उसे खोजना होगा। याहुवाह ने यहोशू के विश्वास का सम्मान किया और उससे कहा “उन सेनाओं से डरो नहीं। मैं तुम्हें उनको पराजित करने दूँगा। उन सेनाओं में से कोई भी तुमको हराने में समर्थ नहीं होगा।” (यहोशू 10:8 ERV-HI)

तीसरा कदम: यहोशू ने उसे दिए गए आश्वासन पर विश्वास से काम किया और याहुवाह ने उसके प्रयासों को आशीर्वाद किया। “फिर जब वे इस्राएलियों के साम्हने से भागकर बेथोरोन की उतराई पर आए, तब अजेका पहुंचने तक यहोवा ने आकाश से बड़े बड़े पत्थर उन पर बरसाए, और वे मर गए; जो ओलों से मारे गए उनकी गिनती इस्राएलियों की तलवार से मारे हुओं से अधिक थी॥” (यहोशू 10:11 HHBD)

यह कदम दो महत्वपूर्ण सत्य प्रकट करता है। पहला, यह ज़रूरी है कि हम याहुवाह की सहायता लें। यह न केवल जरूरी है बल्कि प्रभावी भी है। दूसरा, हमें उनकी मदद के लिए हमेशा आभारी रहना चाहिए। भजन संहिता 50:15 में, याहुवाह वादा करते हैं, “इस्राएल के लोगों, जब तुम पर विपदा पड़े, मेरी प्रार्थना करो,

मैं तुम्हें सहारा दूँगा। तब तुम मेरा मान कर सकोगे।” याहुवाह की सहायता को पहचानना और उसके प्रति आभारी होना प्रेम को जागृत करता है जो हमारे विश्वास को मजबूत करता है। इससे हमें समस्या से बचने के बजाय, यहोशू की तरह तुरन्त कार्रवाई करने का अवसर मिलता है।

चौथा कदम : यहोशू ने अपने पास उपलब्ध दिव्य संसाधनों का उपयोग किया। जिस दिन यहोवा ने एमोरियों को इस्राएलियों के वश में कर दिया, उस दिन यहोशू ने यहोवा से इस्राएलियों के सामने कहा

“हे सूर्य, गिबोन के आसमान में खड़े रह और हट नहीं।

हे चन्द्र तू अय्यालोन की घाटी के ऊपर आसमान में खड़े रह और हट नहीं।” (यहोशू 10 : 12-13 ERV-HI)

याहुवाह ने हमारी मदद करने के लिए स्वर्ग के संसाधनों का भी वादा किया है। क्या आपको सहायता की आवश्यकता होने पर उन संसाधनों का सहारा लेना याद रहता है?

पाँचवाँ कदम : यहोशू ने पूरी जीत हासिल की। वह जानता था कि उसके संघर्ष का परिणाम कनान के सभी अन्यजातियों के समक्ष उसके ईश्वर को प्रतिबिंबित करेगा। वह अधूरे जीत से संतुष्ट नहीं था। खबर आई कि पांचों राजाओं ने एक गुफा में शरण ली है। यहोशू ने गुफा के प्रवेश द्वार को बंद करने का आदेश दिया ताकि वे भाग न सकें। बाद में, जब लड़ाई ख़त्म हो गई, तो वह गुफा में वापस आया और उन राजाओं को मार डाला जिन्होंने इस्राइल के खिलाफ़ युद्ध का नेतृत्व किया था। कठिनाई पर ऐसी शानदार जीत ने याहुवाह को महिमा दी और यहोशू ने तुरंत इस जीत को याहुवाह की जीत के रूप में स्वीकार कर लिया।

तब यहोशू ने अपने सैनिकों से कहा, “दृढ़ और साहसी बनो! डरो नहीं! मैं दिखाऊँगा कि यहोवा उन शत्रुओं के साथ क्या करेगा, जिनसे तुम भविष्य में युद्ध करोगे।”

जब आपको अपनी लड़ाई लड़ने और अपनी समस्याओं पर विजय पाने के लिए स्वर्ग के अपने संसाधनों का उपहार दिया गया है, तो पूर्ण जीत से कम कुछ भी स्वीकार न करें। अधूरा विजय याहुवाह को उस तरह सम्मान नहीं देती जिस तरह पूर्ण और सम्पूर्ण विजय देती है। स्वर्ग के संसाधन सहायता के लिए आपके अनुरोध का इंतज़ार कर रहे हैं। तो इंतज़ार मत करो! तो फिर आओ, हम भरोसे के साथ अनुग्रह पाने परमेश्वर के सिंहासन की ओर बढ़ें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हमारी सहायता के लिए हम दया और अनुग्रह को प्राप्त कर सकें।” (इब्रानियों 4:16 ERV-HI)

सफलता

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