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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

उद्धार का रहस्य

कभी कभी उपदेशों में कुछ शब्द और वचन पढ़े या सुने जाते है जो स्पष्ट रूप से समझ
में नही आते.  विश्वास के द्वारा
धार्मिकता
एक ऐसा वचन है जो बहुतायत से प्रयोग किया जाता है पर कम समझा जाता
है. उन सभी के लिए जो यहुवह के साथ अनन्त जीवन चाहते है यह अत्यंत आवश्यक है की
उनको  विश्वास के द्वारा धार्मिकता क्या है
इसकी स्पष्ट तथा ठीक ठीक जानकारी हो क्योकि केवल यही एक मार्ग है जिससे उद्धार
पाया जा सकता है.                 

उद्धार का रहस्य image“धार्मिक” होने का अर्थ ईश्वरीय नियमो के साथ अनुबंधित होना है “जो की सभी
लोगों पर लागू होता है जो यह बताता है की एक धार्मिक मनुष्य के रूप में कौन मन में
पवित्र है और पवित्र आज्ञाओं का व्यवहारिक रूप में अनुपालन करता है.” (Noah Webster, American
Dictionary of the English Language,
 1828.) 

बाइबल १तीमुथियुस ६:११ में यह बताती है की “हे यहुवह के जन
तू इन बातों से भाग, और धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज और नम्रता का पीछा

कर.” केवल वे जो धार्मिकता का पीछा करते हैं और जिनके अंतरतम विचार और भावनायें
यहुवह के अनुसार हैं, बचाये जायेंगे.

समस्या है कि :

“ कोई भी धर्मी नहीं एक भी नहीं

कोई समझदार नहीं ;

कोई  यहुवह का
खोजनेवाला नहीं .

सब भटक गये है, सब के सब निकम्मे बन गए है

कोई भलाई करने वाला नहीं एक भी नहीं “ (रोमियों ३:११-१२)

यह इस लिए है क्योकि सभी पापी है और विश्वास के द्वारा धार्मिकता एक बहुमूल्य ईश्वरीय दान है.

उद्धारकर्ता की ओर सम्बोधित करते हुए बाइबल यह बताती है कि :

“ क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं जो हमारी निर्बलताओ में
हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारे समान परखा गया , तौभी निष्पाप
निकला . इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिहासन के निकट हियाव बांधकर चले कि हम पर दया
हो, और वह अनुग्रह पाएँ जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे
.(इब्रानियों ४:१५-१६)

यहुवह का अपने पुत्र को दिए दान में पापों से छुटकारा से कुछ अधिक भी शामिल है,
इसमें अंतरतम विचारों तथा भावनाओ का पुनर्निर्माण भी सम्मिलित है. मानवजाति के
उद्धारकर्ता की भी उन सभी बिन्दुओ पर परीक्षा की गई जिन पर आपकी भी उद्धार का रहस्य imageपरीक्षा हो
सकती है लेकिन उसने कभी पाप नहीं किया. इसीलिए उसकी आपके लिए मृत्यु के द्वारा वह
आपको अपनी धार्मिकता
दे सकता है ताकि आप यहुवह के सामने ऐसे खड़े रह सको जैसे कोई पाप न किया हो.

“इसलिए यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी
बाते बीत गई है ; देखो सब बातें नई हो गई है.
ये सब बातें यहुवह की ओर से है जिसने मसीह के द्वारा अपने
साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया और मेल-मिलाप की सेवा हमे सौप दी. अर्थात् यहुवह ने
मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल-मिलाप कर लिया और उनके अपराधों का दोष उन पर
नहीं लगाया और उसने मेल-मिलाप का वचन हमे सौप दिया है. ——–जो पाप से
अज्ञात था उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया कि हम उसमे होकर यहुवह की धार्मिकता
बन जाएँ.
(२कुरन्थियो ५:१७-१९,२१)

यहुवह का दान उनके लिए जो विश्वास करते है पुनः-प्राप्ति है. यह यहुवह की धार्मिकता है और यह
केवल विश्वास के द्वारा ही पाई जा

सकती है क्योंकि यह एक दान है.कोई यहुवह की धार्मिकता को अपने खुद के प्रयासों
या कार्यों के द्वारा नहीं प्राप्त कर सकता:

“क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी
नहीं ठहरेगा, इसलिए कि व्यवस्था के कामों के द्वारा पाप की पहचान होती है.”
(रोमियों ३:२०)

यह तब होता है जब एक पश्चातापी पापी बहुमूल्य वाचाओं को विश्वास के द्वारा
पकड़े रहता है जिससे वह न्यायोचित बन जाता है.

“देख उसका मन फुला हुआ है उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु
धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा.
(हब्क्कू २:४)

पौलुस ने गलातियों में विश्वासियों को यह स्पष्ट किया है :

तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यहुशुआ पर
विश्वास करने के द्वारा ही धर्मी ठहरता है, हमने आप भी मसीह  यहुशुआ पर विश्वास किया कि हम व्यवस्था के
कामों से नहीं, पर यहुशुआ
पर विश्वास
करने से धर्मी ठहरे ; इसलिए कि व्यवस्था के कामों से
कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा.(गलतियों २:१६).

क्योंकि यहुवह ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता
पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए
.(यहुन्ना ३:१६). फिर भी इस महान दान और इसके लाभों
को प्राप्त करने के लिए आपको विश्वास की कसरत करनी होगी. विश्वास

हमेशा ऐसे ही स्पष्ट रूप से समझ नहीं आता कि यह क्या है. विश्वास एक भरोसा है,
पर यह और भी कुछ अधिक है.

 “अब विश्वास आशा कि
हुई वस्तुओ का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है.” (
इब्रानियों११:१).

साधारणत: विश्वास ;

“किसी दुसरे के द्वारा
घोषणा किए गये सत्य के लिए मस्तिष्क की सहमति है जो कि अधिकार तथा सच्चाई के किसी
और साक्ष्य के बिना निर्धारित रहती है; और फैसला जो वह दूसरा बताता है या प्रमाण
प्रस्तुत करता है सत्य होता है”  (Noah Webster, American Dictionary of the
English Language,
 1828.)

यहुशुआ की उसके परिशुद्ध जीवन से लायी गई धार्मिकता को ग्रहण करने के लिए हमे
विश्वास की कसरत करनी होगी, जैसा कि  “विश्वास
के बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है; क्योंकि यहुवह के पास आने वाले को विश्वास
करना चाहिए कि वह है और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है”
 (इब्रानियों ११:६) सच्चा विश्वास भावना नहीं
है. परन्तु यह यहुवह कि वाचा पर जो है वह है विश्वास करने के लिए बिना और
किसी प्रमाण और साक्ष्य के,  भरोसा करने का
एक शांतिपूर्ण  निर्णय है. बहुत से लोग
इससे पहले कि वे महसूस करे कि उन्हें विश्वास है बहुत तीव्र भावनाओं की बाट जोहते
है यह गलत

है. विश्वास के लिए कसरत करने का सबसे सही समय तब है जब आप यहुवह कि उपस्थिति
और प्रेम में गहरा दुःख का अनुभव करें.

बहुत से लोग अपना मसीही जीवन इस विश्वास की कसरत के साथ आरम्भ करते है कि
उद्धारकर्ता उन्हें ग्रहण और क्षमा करे. वे यह विश्वास करते है कि पहले यहुवह का
आत्मा उन्हें दिया जायगा और वे बपतिस्मा पाएंगे और आनंदपूर्वक अपने छुटकारा देने
वाले पर भरोसा करेंगे. फिर जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है बहुत से लोग ऐसे जीना आरम्भ
करते है कि वे नियमों का पालन करने से अपने प्रयासों के द्वारा बचा लिए जायेंगे.
यही वह जाल था जिसमे गलाती लोग फसे थे ,पौलुस साफ साफ पूंछता है

“हे निर्बुद्धि गलतियों, किसने तुम्हे मोह लिया है ?
तुम्हारी तो मानो आँखों के सामने यहुशुआ क्रूस पर दिखाया  गया मै तुमसे केवल यह जानना चाहता हूँ कि तुमने
आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के समाचार से पाया? क्या तुम ऐसे
निर्बुद्धि हो कि आत्मा कि रीती पर आरम्भ करके अब शरीर की रीती पर अंत करोगे.”(
गलतियों ३:१-३)

ऐसा कुछ कार्य जो यदि कोई करे कि किसी
प्रकार उद्धार प्राप्त कर सके. आदि से अन्त तक यह यहुवह की वाचा में एक दान है जो
विश्वास से ग्रहण किया जाता है .

ऐसा कुछ कार्य नहीं है जो कोई करे  कि
किसी प्रकार उद्धार को प्राप्त कर सके. आदि से अंत तक यह यहुवह की वाचा में एक दान
है जो विश्वास से ग्रहण किया जाता है. विश्वास के द्वारा यहुशुआ की धार्मिकता को
ग्रहण करने के लिए सबसे पहला कदम है कि इस विश्वास को चुनें कि उसने कहा है वह

“——–जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा “(यहुन्ना ६:३७)

बगैर किसी संकोच के वह आगे कहता है

“हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुए लोंगो मेरे
पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा .मेरा जुआ अपने उपर उठा लो, और मुझसे सीखो;
क्योंकि मैं नम्र और मन में दिन हूँ :और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे. क्योंकि
मेरा जुआ सहज और मेरा बोझ हलका है.”
(मत्ती ११:२८-३०)

दूसरा कदम यह है कि विश्वास के द्वारा यह ग्रहण
करें कि लौदिकिया की कलीसिया को दो गई चितौनी मेरे लिए व्यक्तिगत है.

“लौदिकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख: जो आमीन और
विश्वासयोग्य और सच्चा गवाह है, और यहुवह की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है
कि मैं तेरे कामों को जानता हूँ कि तू न तो ठंडा है और न गर्म : भला होता कि तू
ठंडा या गर्म होता. इसलिए कि तू गुनगुना है, और न ठंडा न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह
से उगलने पर हूँ. तू कहता है कि मै धनी हूँ और धनवान हो गया हूँ और मुझे किसी
वस्तु कि घटी नहीं ; और

यह नहीं जानता कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अँधा और
नंगा है. इसीलिए मैं तुझे सम्मति देता हूँ कि आग में ताया हुआ सोना मुझसे मोल ले
कि तू धनी हो जाए, औए श्वेत वस्त्र लेले कि पहनकर तुझे अपने

नंगेपन की लज्जा न हो,और अपनी आँखों में लगाने के लिए सुरमा
ले कि तू देखने लगे.
“(प्रकाशितवाक्य ३:१४-१८). 

उद्धार का रहस्य imageआप पाप की गहराई और अपने खुद के हृदय के निम्नीकरण को देख नहीं सकते .इसीलिए
यह आवश्यक है की आप विश्वास के द्वारा यह स्वीकार करें की लौदिकिया की कलीसिया की
दशा आप पर भी लागू होती है. तब और केवल तब ही महान चिकित्सक आपको ईश्वरीय चिकित्सा
पहुचाने में समर्थ होगा. यह विश्वास के द्वारा उस महान
और बहुमूल्य वाचा
 में प्राप्त की जा सकती है. दाऊद के साथ
प्रार्थना करें.

हे यहुवह, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के
अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे.मुझे भलीभांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा
पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर — जुफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा ;
मुझे धो, और मैं  हिम से भी अधिक श्वेत

बनूंगा. —  हे यहुवह
मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से
उत्पन्न  कर .
(भजन संहिता
५१:१,२,७,१०)

तब अन्त में यह चुनें कि उसने
यह किया क्योंकि उसने यह वायदा किया था कि वह करेगा.

“इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है,
तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें
दौड़ना है धीरज से दौड़ें, और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यहुशुआ की ओर
ताकते रहें,जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिंता न करके
क्रूस का दुःख सहा, और यहुवह के सिंहासन की दाहिनी ओर जा बैठा.”
(इब्रानियों १२:१-२).

यहुशुआ यह प्रगट करने आया की जब मानवजाति ईश्वरत्व के साथ मिल जाती है तब पाप
का समर्पण नहीं होता. वे जिन्हों ने यहुशुआ की धार्मिकता को विश्वास के द्वारा
ग्रहण किया है वे पाएंगे कि वे अपनी स्वयं की इच्छाओं को प्रोत्साहित कर रहे है,
परन्तु वे वास्तव में यहुवह की इच्छाओ का पालन कर रहे है.

“और तुम इसी के लिए बुलाए भी गये हो, क्योंकि मसीह भी
तुम्हारे लिए दुःख उठाकर तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद-चिन्हों पर
चलो. न तो उसने पाप किया और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली. —-वह आप ही
हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर

चढ़ गया, जिससे हम पापों के लिए मरकर धार्मिकता के लिए जीवन
बिताएँ: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए
(१पतरस २:२१,२२,२४)

विश्वास के द्वारा धार्मिकता मस्तिष्क की प्रवृति से कुछ अधिक है.यह मस्तिष्क
की प्रवृति का परिणाम है.विश्वास के द्वारा धार्मिकता यहुशुआ की सामर्थ्य में
विश्वास करते हुए किए जानेवाला उद्धार का रहस्य imageसही कार्य है. शुद्ध की गई इच्छा यहुवह में एक है. यहुशुआ
विश्वासी के जीवन में वास करते हुए यहुवह के नियमों का पालन करता है. यही वास्तव
मी विश्वास के द्वारा धार्मिकता है,जो अपने साथ ईश्वरीय शांति और विश्राम लाती है
और इससे वे लोग अपरिचित रहते है जो अपने स्वयं के प्रयासों से स्वर्ग को प्राप्त
करना चाहते है. सब्त एक विश्राम का प्रतीक है और बाट जोह रहा है, उन सभों के लिए जिहोंने
उद्धार पाने के लिए अपने स्वयं के प्रयासों को बन्द कर दिया है और बदले में जीवते
उद्धारकर्ता की योग्यताओं में विश्वास किया है. “अत: जान लो कि यहुवह के लोगों
के लिए सब्त का विश्राम बाकी है; क्योंकि जिसने

उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी यहुवह के समान
अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है.”
(इब्रानियों ४:९-१०)

वे जो यहुशुआ कि धार्मिकता को विश्वास से ग्रहण करते है वे ईश्वरीय आज्ञाओं को
भी मानना चाहेंगे . यह उनके ह्रदय में लिखी रहती है इसीलिए यह बोझ नहीं पर आनन्द
होता है. वह बचा हुआ टुकड़ा जो बिना मृत्यु को
देखे स्वर्ग में परिवर्तित हो जायेंगे
 ये वे ही लोग हैं जिन्होंने यहुशुआ कि धार्मिकता
को विश्वास से चुना है. प्रकाशितवाक्य में जिसका वर्णन किया गया है,

“ पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो यहुवह की आज्ञाओं को
मानते और यहुशुआ पर विश्वास रखते हैं
    (प्रकाशितवाक्य १४:१२).

आज ही यहुवह को उसके वचन के अनुसार चुनिए. उस उद्धार को ग्रहण करिए जो मुफ्त
में मिलता है. यह विश्वास करिए की जो उसने कहा है वह करेगा.तब उसके साथ  –“हम भी नए जीवन की सी चाल चलें.”(रोमियों
६:४).

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