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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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पवित्रशास्त्र का स्मरण करना : यह जीवन और मृत्यु का मामला है

पवित्रशास्त्र, मसीही विश्वास के तथ्यों या सिद्धांतों का सुदृढ़ आधार है। यह अनंत जीवन की ओर याह की प्रेरणा का दिशा-निर्देश है। सभी, जो सच्चे दिल से याहुवाह और उनकी धार्मिकता का अनुकरण करते हैं, वे बाइबिल कि अध्ययन करने और उसमें रहने वाले जीवित शब्दों को याद करने को प्रतिबद्ध करने कि आदत डालेंगे। याहुवाह के वचन का अध्ययन की उपेक्षा करना जीवन पर मृत्यु का चुनना होगा। यह इतनी गंभीर बात है, क्योंकि यदि हम उनके वचन की बढ़ती हुई रोशनी में नहीं चल रहे हैं, तो हम मृत्यु की छाया के बढ़ते अंधेरे में बैठे रह जाते हैं।

आने वाले अंतिम संकट में, याहुवाह के लोगों के विश्वास को इस तरह परखा जाएगा जैसे पहले कभी नहीं परखा गया। जब सताव अपने चरम पर होगा और भयावह तबाही की घटनाएँ चारों ओर से सामने आ रही होगी, जो लोग पवित्रशास्त्रों पर डटे हुए नहीं होंगे, वे उम्मीद छोड़ देंगे और मिटा दिए जाएंगे। आइए, हम याहुवाह के वादों को आज से ही स्मरण करने की प्रतिज्ञा करें, ऐसा न हो कि कल हम दूर हो जाएं।

पवित्र शास्त्र को स्मरण करने के ८ कारण

१) याहुवाह हमें उनके वचन को स्मरण करने के लिए बताते हैं।

२) याहुशुआ ने पवित्रशास्त्र का स्मरण किया।

३) पवित्रशास्त्र को स्मरण करने के द्वारा हमारे दिमाग नवीनिकृत होते हैं और हमें हमारे प्यारे पिता याहुवाह को आज्ञाकारी होकर जीवन जीने के लिए मदद करता है।

४) पवित्रशास्त्र स्मरण करना, हमें परीक्षा के समय में, आवश्यक शक्ति प्रदान करता है।

५) पवित्रशास्त्र स्मरण करना हमें खोए हुओं को ओर अधिक प्रभावी रूप से गवाही देने के लिए तैयार करता है।

६) पवित्रशास्त्र स्मरण करने के द्वारा हम दूसरे विश्वासियों को अधिक प्रभावी रूप से प्रोत्साहित करने में सक्षम होंगे।

७) पवित्रशास्त्र स्मरण करना पिता याहुवाह की इच्छा को हमारे हृदय का ध्यान बनाता है।

८) पवित्रशास्त्र के वादों को स्मरण रखना हमें अंत समय के परिक्षाओं और तबाही को हिम्मत से सामना करने में सक्षम करता है।


१) याहुवाह, अपने भविष्यक्ताओं और प्रेरितों के माध्यम से, हमें उनके वचन को स्मरण करने के लिए कहता है।

अगर हम पिता याहुवाह के साथ एक जीवित संबंध बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें अध्ययन करने कि गंभीर अनुग्रह पर ध्यान देना चाहिए; हमें उनकी बातों को दिल से मानना ​​चाहिए।

दो लडकीयाँ बाईबिल पढ़ते हुएअपने आप को याहुवाह द्वारा ग्रहण करने योग्य बनाकर एक ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का यत्न करते रहो जिससे किसी बात के लिए लज्जित होने की आवश्यकता न हो। और जो याहुवाह के सत्य वचन का सही ढंग से उपयोग करता हो (२ तीमुथियुस २:१५ ; ERV-HI)

‘ओ इस्राएल, सुन! [याहुवाह हमारा परमेश्वर] है, [याहुवाह] एक ही है। तू याहुवाह, अपने एलोआह को अपने संपूर्ण हृदय, संपूर्ण प्राण और अपनी संपूर्ण शक्ति से प्रेम करना। और ये वचन, जो आज मैं तुझे आदेश-रूप में सुना रहा हूँ, तेरे हृदय पर अंकित रहें। [इनकी शिक्षा अपने बच्चों को देने के लिए सावधान रहो।] । जब तू अपने घर में बैठता है, अथवा मार्ग पर चलता है, जब तू लेटता है अथवा उठता है, तब तू इन्हीं की चर्चा करना। तू इनको चिन्ह स्वरूप अपने हाथ पर बांधना। ये तेरी दोनों आंखों के मध्य शिरोबंद होंगे। तू इन्हें अपने घर की चौखट के बाजुओं और नगर के प्रवेश-द्वारों पर लिखना। ( व्यवस्था-विवरण ६:४-९; HINDI-OV re-edited)

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ याहुवाह के लिए भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। (कुलुस्सियों ३:१६; नया नियम-HIN2017)

२) याहुशुआ ने पवित्रशास्त्र का स्मरण किया।

जब याहुशुआ पृथ्वी पर थे, वे लगातार अपने सुनने वालों को पवित्रशास्त्र की ओर इशारा करते थे। उन्होंने बार बार, विश्वासियों को प्रोत्साहित करने और उन लोगों की अज्ञानता का खंडन करने के लिए पवित्रशास्त्र का उपयोग किया जिन्होंने उन्हें मसीह के रूप में अस्वीकार कर दिया था।

याहुशुआ ने उनसे कहा, “क्या तुमने कभी पवित्रशास्त्र में यह नहीं पढ़ा : ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया? यह याहुवाह की ओर से हुआ, और हमारी दृष्टि में अद्भुत है। ’(मत्ती २१:४२; नया नियम-HIN2017 )

ऐसा नहीं हो सकता कि लोग अनुग्रह में बढ़े जब तक कि वे अपने आप से न पढ़ें। पढ़ने वाले लोग हमेशा जानकार रहेंगे। (जॉन वेस्लि)

याहुशुआ ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम पवित्रशास्त्र और याहुवाह की सामर्थ्य नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़े हो। (मत्ती २२:२९; नया नियम-HIN2017 )

उस समय यीशु ने भीड़ से कहा, क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने के लिये निकले हो? मैं हर दिन मंदिर में बैठकर उपदेश दिया करता था , और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा, परन्तु यह सब इसलिये हुआ है कि भविष्यद्वक्‍ताओं के वचन पूरे हों. तब सब चेले उसे छोड़कर भाग गए। (मत्ती २६: ५५-५६; नया नियम HIN2017)

फिर उसने बारहों को साथ ले जाकर उनसे कहा, “देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्‍ताओं के द्वारा लिखी गई हैं, वे सब पूरी होंगी। (लूका १८:३१; HINDI-OV re-edited)

तब उसने उनसे कहा, “हे निर्बुद्धियो, और भविष्यद्वक्‍ताओं की सब बातों पर विश्‍वास करने में मन्दमतियो! क्या अवश्य न था कि मसीह ये दु:ख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?” और तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्‍ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्र में से अपने विषय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया। (लूका २४:२५-२७; HINDI-OV re-edited)

फिर उसने उनसे कहा, “ये मेरी वे बातें हैं, जो मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही थीं कि अवश्य है कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्‍ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विषय में लिखी हैं, सब पूरी हों।”। (लूका २४:४४; नया नियम-HIN2017)

कोई मेरे पास नहीं आ सकता जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊँगा।भविष्यद्वक्‍ताओं के लेखों में यह लिखा है : ‘वे सब परमेश्‍वर की ओर से सिखाए हुए होंगे।’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। (यूहन्ना ६:४४-४५; नया नियम-HIN2017)

अगर हमें उद्धारकर्ता के प्यार में बने रहना हैं, तो हमें हर चीज में उनका अनुकरण करना चाहिए, जिसमें पवित्रशास्त्र का एक सावधानीपूरवक अध्ययन भी शामिल है।

पर जो कोई उसके [याहुशुआ के] वचन पर चले, उसमें सचमुच याहुवाह का प्रेम सिद्ध हुआ है। इसी से हम जानते हैं कि हम उसमें हैं :जो कोई यह कहता है कि मैं उसमें बना रहता हूँ, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। (१ यूहन्ना २:५-६; HINDI-OV re-edited)

३) पवित्रशास्त्र को स्मरण करने के द्वारा हमारे दिमाग नवीनिकृत होते हैं और हमें हमारे प्यारे पिता याहुवाह को आज्ञाकारी होकर जीवन जीने के लिए मदद करता है।

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ। (भजन संहिता ११९:११; HINDI-OV re-edited)

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। (भजन संहिता ११९:९; HINDI-OV re-edited)

दादा अपने पोती को बाइबिल पढ़कर सुना रहेयाहुवाह के वचन में जीवन को बदलने और पाप-से-अंधेरे दिमागों को फिर से नया करने की शक्ति है।

इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। (रोमियों १२:२; HINDI-OV re-edited)

जब पवित्रशास्त्र का प्रर्थानापूर्वक अध्ययन किया जाता है, हमारे चरित्र की कमजोरियों को प्रकट करता है, हमारे विचारों को नंगे करता है, और स्वर्ग की दृष्टि में हमारे दिलों की सही स्थिति को स्पष्ट करता है:

क्योंकि याहुवाह का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है; और प्राण और आत्मा को, और गाँठ-गाँठ और गूदे-गूदे को अलग करके आर-पार छेदता है और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है। (इब्रानियों ४:१२; HINDI-OV re-editedI)

पवित्रशास्त्र हमें समझ से तैयार करता है, ताकि हम पवित्र आत्मा की शक्ति के माध्यम से “हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना सकते हैं।”

क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्‍वर के द्वारा सामर्थी हैं।इसलिये हम कल्पनाओं का और हर एक ऊँची बात का, जो परमेश्‍वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं(२ कुरिन्थियों १०:४-५; HINDI-OV re-edited)

४) पवित्र शास्त्र का स्मरण करना हमें प्रलोभन के समय में आवश्यक शक्ति प्रदान करता है।

परमप्रधान के निष्पाप पुत्र याहुशुआ ने प्रलोभन का सामना करने के लिए हमेशा पवित्रशास्त्र का उपयोग किया। तो हमें अपने गिरे हुए पापमयी स्वभाव में, इस दोधारी तलवार में महारत हासिल करने की कितनी जरूरत होगी? अगर हमें विजयी होना हैं, तो हमें याहुवाह के वचन से परिचित होना चाहिए।

किताबों कि आलमारी में बाइबिल से ज्यादा बाइबिल याद करना बेहतर है। (चार्ल्स स्पर्जन)

तब आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्लीस से उस की परीक्षा हो। वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। तब परखनेवाले ने पास आकर उस से कहा, “यदि तू याहुवाह का पुत्र है , तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” याहुशुआ ने उत्तर दिया : “लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो याहुवाह के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा।’ ”तब इब्लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया,और उससे कहा, “यदि तू याहुवाह का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है : ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वे तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे।’ ”याहुशुआ ने उससे कहा, “यह भी लिखा है : ‘तू याहुवाह अपने एलोआह की परीक्षा न कर।’ ”फिर इब्लीस उसे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।” तब याहुशुआ ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है : ‘तू याहुवाह अपने एलोआह को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।”’तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उसकी सेवा करने लगे। (मत्ती ४:१-११; HHBD)

५) पवित्रशास्त्र स्मरण करना हमें खोए हुओं को ओर अधिक प्रभावी रूप से गवाही देने के लिए तैयार करता है।

पर याहुवाह को एलोआह जानकर अपने-अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ; और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिए कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो मसीह में तुम्हारे अच्छे चाल-चलन का अपमान करते हैं, लज्जित हों। (१ पतरस ३:१५; HINIRV)

यदि हमें महान आदेश को पूरा करना है, तो हमें वो सब करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जो याहुवाह और उनके पुत्र ने हमें आज्ञा दी है।

इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ . ..और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे संग हूँ।” (मत्ती २८:१९-२०)

६) पवित्रशास्त्र को स्मरण करने के द्वारा हम दूसरे विश्वासियों को अधिक प्रभावी रूप से प्रोत्साहित करने में सक्षम होंगे।

पवित्रशास्त्र धर्मी निर्देश का एक सोता है और प्रभावी सिद्धांत का एक अचूक स्रोत है।

सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र याहुवाह की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धार्मिकता की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि याहुवाह का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। (२ तीमुथियुस ३:१६; HINDI O.V re-edited)

हृदय से याहुवाह के वचन के लिए समर्पित होना, हमें, अपने भाइयों और बहनों को विश्वास में और अधिक प्रभावी ढंग से बढ़ाने में सक्षम करता है।

हे भाइयो, चौकस रहो कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्‍वासी मन न हो, जो तुम्हें जीवते एलोआह से दूर हटा ले जाए। वरन् जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए। (इब्रानियों ३:१२-१३ ; HINDI-OV re-edited)

और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों-त्यों और भी अधिक यह किया करो। (इब्रानियों १०:२४-२५; HINDI O.V re-edited)

७) पवित्रशास्त्र स्मरण करना पिता याहुवाह की इच्छा को हमारे हृदय का ध्यान और हमारे ज़िंदगी का केंद्र बिन्दु बनाता है।

उस अविनाशी मुकुट की हमारी खोज में, यह महत्वपूर्ण है कि हम पिता के वचन को हमेशा हमारे सामने रखें।

आप याहुवाह के वचन को दिल से सीखना चाहिए और किसी भी तरह से कल्पना नहीं करना चाहिए कि आप इसे जानते हैं. . . शैतान आपकी सोच से भी ज्यादा बड़ा धूर्त है ।आप ऐसे करते हैं जैसे कि आपको पता नहीं वो किस तरह का व्यक्ति है और आप कितने दुष्ट हैं। उसकी निश्चित युक्ति आपको वचन से ऊबा देना है और इस तरह से वह आपको वचन से दूर कर देता हैं। यही उसका लक्ष्य है। (मार्टिन लूथर)

मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूँगा। मैं तेरी विधियों से सुख पाऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा। (भजन संहिता ११९:१५-१६; HINDI O.V re-edited)

मेरी आँखें रात के एक एक पहर से पहले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूँ। (भजन संहिता ११९:१४८; HINDI O.V re-edited)

तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। (भजन संहिता ११९:१०५; HINDI O.V re-edited)

याहुवाह के वचन पर ध्यान करना ही सच्ची समृद्धि और सफलता की कुंजी है।

व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। (यहोशू १:८; HINDI O.V re-edited )

८) पवित्रशास्त्र के वादों को स्मरण करना हमें अंत समय के परिक्षाओं और तबाही को हिम्मत से सामना करने में सक्षम करता है।

आज ही याहुवाह के कीमती वादों पर आनंद करें ताकि आगे की परीक्षाओं में आप मजबूत खड़े हो पाएँ!

जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा। मैं याहुवाह के विषय कहूँगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा एलोआह है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा। वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा; वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके पैरों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी। तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है, न उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन दुपहरी में उजाड़ता है॥ तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा। परन्तु तू अपनी आंखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अंत को देखेगा। हे याहुवाह, तू मेरा शरण स्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है, इसलिये कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दु:ख तेरे डेरे के निकट आएगा॥ क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें। वे तुझ को हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे। तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा। (भजन संहिता ९१:१-१३; HHBD)

बूढ़ी औरत बाइबिल पढ़ते हुएयाहुवाह कहता है, ‘वह मुझ से प्रेम करता है, अत: मैं उसको छुड़ाऊंगा; वह मेरे नाम को जानता है, इसलिए मैं उसकी रक्षा करूँगा। जब वह मुझे पुकारेगा, मैं उसे उत्तर दूँगा; संकट में मैं उसके साथ रहूँगा; मैं उसे मुक्‍त करूँगा और उसे महिमावन्त करूँगा। मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा, और उसे अपने उद्धार का दर्शन कराऊंगा।’ (भजन संहिता ९१:१४-१६; HINDICL-BSI)

वह चट्टानों के गढ़ों में शरण लिये हुए रहेगा; उसको रोटी मिलेगी और पानी की घटी कभी न होगी (यशायाह ३३:१६; HINDI O.V re-edited)

परन्तु जो याहुवाह की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। (यशायाह ४०:३१; HINDI O.V re-edited)

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा एलोआह हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे संभाले रहूँगा। देख, जो तुझ से क्रोधित हैं वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से झगड़ते हैं उनके मुँह काले होंगे और वे नष्ट होकर मिट जाएँगे। जो तुझ से लड़ते हैं उन्हें ढूँढ़ने पर भी तू न पाएगा; जो तुझ से युद्ध करते हैं वे नष्ट होकर मिट जाएँगे। क्योंकि मैं तेरा एलोआह याहुवाह, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, “मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा।” (यशायाह ४१:१०-१३ ; HINDI O.V re-edited)

हे इस्राएल, तेरा रचनेवाला, और हे याकूब, तेरा सृजनहार याहुवाह अब यों कहता है, “मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम लेकर बुलाया है, तू मेरा ही है। जब तू जल में होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूँगा और जब तू नदियों में होकर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आँच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। क्योंकि मैं याहुवाह तेरा एलोआह हूँ, इस्राएल का पवित्र मैं तेरा उद्धारकर्ता हूँ। तेरी छुड़ौती में मैं मिस्र को और तेरे बदले कूश और सबा को देता हूँ। मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठ ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूँ, इस कारण मैं तेरे बदले मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूँगा। मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ; मैं तेरे वंश को पूर्व से ले आऊँगा, और पश्चिम से भी इकट्ठा करूँगा। (यशायाह ४३:१-५; HINDI O.V re-edited)

अगर हमें मालिक के आगमन पर तैयार पाया जाना चाहिए, तो हमें अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में हमेशा तेल भी भर लेना चाहिए अपनी “इसलिये हम दूसरों के समान सोते न रहें, पर जागते और सावधान रहें।” (१ थिस्सलुनीकियों ५:६; HINDI O.V re-edited)

“तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। उनमें पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया; परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊँघने लगीं और सो गईं। “आधी रात को धूम मची : ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।’ परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया, ‘कदाचित् यह हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।’ जब वे मोल लेने को जा रही थीं तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गईं और द्वार बंद किया गया। इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे!’ उसने उत्तर दिया, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’ इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को। (मत्ती २५:१-१३; HINDI O.V re-edited)


आइए हम सभी, पिता के अनुग्रह से, उनके जीवन-प्रदान करने वाले वचन का अध्ययन करने के लिए प्रतिदिन स्वयं को प्रतिबद्ध करें, कि हम अय्यूब के साथ एक ईमानदार हृदय के साथ कहें,

उसकी आज्ञा का पालन करने से मैं न हटा, और मैं ने उसके वचन अपनी इच्छा से कहीं अधिक काम के जानकर सुरक्षित रखे। (अय्यूब २३:१२; HINDI O.V re-edited)

मुसकुराता हुआ आदमी बाईबिल पकडा हुआ

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