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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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सब्त | भाग २ – शाश्वत और युगानुयुग

सातवाँ दिन सब्त
पवित्र व्यवस्था के रूप में सभी लोगों पर निरन्तर बन्धनकारी है. सारी आज्ञाओं में
से कोई और आज्ञा प्राय: निर्भयता से नहीं तोड़ी जाती जैसे की चौथी आज्ञा.

निर्गमन २०: ८-१० 

मसीही जन जो मूर्तियों की पूजा, शपथ खाना, झूठ बोलना, खून
करना, या व्यभिचार करने के बारे में स्वप्न भी नहीं देखते वे सब्त की आज्ञा को
तोड़ने से नहीं हिचकिचाते. शैतान ने सभी लोगो को  किसी प्रकार से यह विश्वास करने के लिए धोखा
दिया कि सब्त “केवल यहूदियों के लिए” है और यह “क्रूस पर चढ़ा दिया गया” है. सातवें
दिन सब्त को छोडकर, संसार के बहुत से मसीही लोग रविवार के दिन को यह मानते हुए कि यीशु
उस दिन मृतकों में से जी उठा था उपासना करते हैं. यह तर्क धर्मशास्त्र का विरोध
करता है जो सिखाता है कि एलोहीम आज कल और सर्वदा एक सा है. (इब्रानियों १३:८)
पवित्र व्यवस्था का देने वाला घोषणा करता है: मैं याहुवाह बदलता नहीं (देखिये
मलाकी ३:६) और आगे धर्मशास्त्र यह सिखाता है कि कोई चाहे व्यक्ति कितनी भी
सावधानीपूर्वक व्यवस्था का पालन करे, लेकिन यदि वह एक को भी तोड़ता है, तो वह सारी
व्यवस्था के तोड़ने का अपराधी होता है!

“क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु एक
ही बात में चुक जाए तो वह सब बातों में दोषी ठहर चुका है. इसलिए कि जिसने यह कहा,
तू व्यभिचार न करना उसी ने यह भी कहा तू हत्या न करना, इसीलिए यदि तूने व्यभिचार
तो नहीं किया पर हत्या की तौभी तू व्यवस्था का उल्लंघन करनेवाला ठहरा.” (याकूब
२:१०,११)

वह व्यक्ति जो सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु सब्त
को तोड़ता है, वह भी व्यवस्था को तोड़ता है!

सब्त | भाग २ – शाश्वत और युगानुयुग imageयाहुवाह की इच्छा है कि सभी उसकी व्यवस्था का पालन करें, न
केवल यहूदी ही. सब्त २००० वर्षों से भी अधिक से इससे पहले जबकि इस्राएल राज्य हुआ
एक शाश्वत व्यवस्था था! सब्त की स्थापना सृष्टि के समय की गई, नाकि निर्गमन के
समय. यह सृष्टि की यादगार है क्योंकि इसकी स्थापना के साथ सृष्टि के पूर्ण होने
वाला सप्ताह जुड़ा हुआ है.

 “यों आकाश और
पृथ्वी और सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया. और याहुवाह ने अपना काम जिसे वह करता
था सातवें दिन समाप्त किया, और उसने अपने किये हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम
किया. और याहुवाह ने सातवें दिन को आशीष दो और पवित्र ठहराया; क्योंकि उसमें उसने
सृष्टि की रचना के अपने सारे काम से विश्राम लिया.” (उत्पत्ति २:१-३) 

सृष्टि के समय स्थापना के बाद, सब्त क्रूस पर नहीं चढाया जा
सकता, नाही यह यहूदियों की एकमात्र सम्पत्ति हो सकता है. प्रलय के बाद, संसार बहुत
जल्द ही स्वधर्म त्याग और मूर्तिपूजा में फिर से डूब गया. केवल कुछ ही स्वर्गीय
सिद्धान्तों में बने रहे. याहुवाह ने अब्राहम को जाति का पूर्वज होने के लिए चुना
जिसके द्वारा मसीहा का जन्म होना था.

“याहुवाह ने अब्राहम से कहा . . . मैं तुझ से एक बड़ी जाति
बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूँगा, और तेरा नाम महान करूँगा और तू आशीष का मूल होगा . .
. और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे.” (उत्पत्ति २१:१-३)

इस्राएल राष्ट्र का आदर अब्राहम का वंश होने के कारण पृथ्वी
के सभी राष्ट्रों से जिन्होंने स्वर्ग से विद्रोह किया के उपर किया गया. उन्हें
पवित्र व्यवस्था को इसे सुरक्षित रखने वाले जानकर सौपा गया था. मिस्त्र में लम्बे
समय तक बन्धक रहने के कारण, इस्राएलियों ने सब्त को लगभग खो दिया था. मूसा ने
इस्राएलियों को सिखाया कि पवित्र व्यवस्था का पालन करना उनके छुटकारे की पहली
आवश्यकता है. यही कारण था कि फिरौन ने मूसा और हारून पर गुलामों के द्वारा काम न
करने का दबाव डालने का आरोप लगाया.

“मिस्त्र के राजा ने उनसे कहा हे मूसा हे हारून, तुम क्यों
लोगों से काम छुड़वाना चाहते हो! . . . और फिरौन ने कहा सुनो इस देश में वे लोग
बहुत हो गये हैं, फिर तुम उनको परिश्रम से विश्राम दिलाना चाहते हो!” (निर्गमन
५:४-५)

“विश्राम” शब्द (Shavath #7673) की व्युत्पत्ति-विषयक निकटतम
जड़ें “सब्त” (shabbath,#7676) से है. सब्त को निर्गमन के समय एक नई आवश्यकता के रूप में नहीं प्रस्तुत किया
गया. इसे पवित्र व्यवस्था की सर्वदा बनी रहने वाली आवश्यकता के रूप में
पुनर्स्थापित किया गया.

“फिर याहुवाह ने मूसा से कहा, ‘तू इस्राएलियों से यह भी
कहना निश्चय तुम मेरे विश्रामदिनों को मानना क्योंकि तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में मेरे और
तुम लोगों के बीच यह एक चिन्ह ठहरा है जिससे तुम यह बात जान रखो कि याहुवाह हमारा
पवित्र करनेहारा है. इस कारण तुम विश्रामदिन को मानना क्योंकि वह तुम्हारे लिए
पवित्र ठहरा है . . . छ: दिन तो काम काज किया जाए, पर सातवाँ दिन परम विश्राम का
दिन और याहुवाह के लिए पवित्र है . . . इसलिए इसरायली विश्रामदिन को माना करें वरन
पीढ़ी पीढ़ी में उसको सदा की वाचा का विषय जानकर माना करें. वह मेरे और इस्राएलियों
के बीच सदा एक चिन्ह रहेगा, क्योंकि छ: दिन में याहुवाह ने आकाश और पृथ्वी को
बनाया, और सातवें दिन विश्राम करके अपना जी ठन्डा किया.” (निर्गमन ३१:१२-१७)

याहुवाह ने उनके राष्ट्र को एक महत्वपूर्ण भौलोगिक स्थिति
में स्थापित किया कि वे अपने आसपास के सभी राष्ट्रों को पवित्र व्यवस्था की
बन्धनकारी आवश्यकता को सिखा सकें. दुर्भाग्यवश उन्होंने इर्षा के कारण उस व्यवस्था
को जो उन्हें दूसरों को सीखाना था रोक रखा. इस्राएलियों में यह विचार कि याहुवाह
की व्यवस्था केवल यहूदियों की ही सम्पत्ति है उत्पन्न हो गया. आज भी अपने आप को
अब्राहम की सन्तान और वाचा के उत्तराधिकारी होने का घमण्ड करते हैं. पौलुस ने इस
तर्क को अस्वीकार कर दिया. उसने रुखाई से स्पष्टतया कहा:

Candles, Bible, & Shofarइसलिए कि जो इस्राएल के वंश हैं, वे सब इसरायली नहीं; और न
अब्राहम के वंश के होने के कारण सब उसकी सन्तान ठहरे . . .शरीर की सन्तान याहुवाह
की सन्तान नहीं, परन्तु प्रतिज्ञा की सन्तान वंश गिने जाते हैं . . . यहूदियों और
यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिए कि वह सबका एलोहीम है और अपने सब नाम लेनेवालों
के लिए उद्धार है. क्योंकि जो कोई याहुवाह का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा. (देखिये
रोमियों ९:६-८, १०:१२,१३)

इसरायली वंशज जो व्यवस्था का पालन नहीं करते उन सबके साथ
नाश हो जाएँगे जो पवित्र व्यवस्था को अस्वीकार करते हैं. वे सभी जो व्यवस्था का
पालन करते हैं अब्राहम की सन्तान कहलाए जाएँगे और वाचा के अनन्त जीवन के वारिस
होंगे.

क्योंकि तुम सब उस विश्वास के द्वारा जो अभिषिक्त याहुशुआ
पर है, याहुवाह की सन्तान हो . . . अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी, न कोई दास न
स्वतंत्र, न कोई नर न नारी, क्योंकि तुम सब अभिषिक्त याहुशुआ में एक हो. और यदि
तुम याहुशुआ के हो तो अब्राहम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो.
(गलतियों ३:२६, २८-२९)

सातवाँ दिन सब्त, पवित्र व्यवस्था के सभी नियमों के समान
शाश्वत और सभी मनुष्यों के लिए बन्धनकारी है. यह अनन्तकाल तक उपासना का दिन बना
रहेगा.

“फिर ऐसा होगा, कि एक नये चाँद से दूसरे नये चाँद के दिन तक
और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक समस्त प्राणी मेरे सामने दण्डवत करने
को आया करेंगे.” (यशायाह ६६:२३)

नये चाँद का सन्दर्भ इंगित करता है कि सातवें दिन सब्त की
गणना के लिए कौन सा कैलेन्डर उपयोग किया जाना चाहिए: सृष्टि के समय स्थापित किया
गया चन्द्र-सौर्य कैलेन्डर. अन्तिम पीढ़ी उसके सब्त के दिन उपासना करके याहुवाह का
आदर करेगी. जबकि बाकि समस्त संसार उपासना के किये दूसरा दिन चुनेगा और उसे लागू भी
करेगा. प्रकाशितवाक्य प्रगट करता है कि अन्तिम लड़ाई में जो संसार के अन्त के समय
होगी राज्य की शक्ति के द्वारा लागू उपासना के भ्रामक दिन के साथ उपासना का  नकली तंत्र एक कारण होगा.

“लोगो ने अजगर की पूजा की, क्योंकि उसने पशु को अपना अधिकार
दे दिया था, और यह कहकर पशु की पूजा की . . . वह उस पहले पशु का सारा अधिकार उसके
सामने काम में लाता था; और पृथ्वी और उसके रहने वालों से उस पशु जिसका प्राण घातक
घाव अच्छा हो गया था, पूजा कराता था. . . वह पृथ्वी के रहने वालों को भरमाता था .
. . उसे अधिकार दिया गया कि . . . जितने लोग उस पशु की मूर्ति की पूजा न करें,
उन्हें मरवा डाले.” (प्रकाशितवाक्य १३: ४,१२,१४-१५)

 spiral clockखतरों के बावजूद
अन्तिम पीढ़ी याहुवाह की व्यवस्था और सच्चे सब्त पर उसकी उपासना करने के लिए दृढ
रही.

“तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएँगे;
तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नींव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और
पंथो का ठीक करने वाला पड़ेगा. यदि तू विश्राम दिन को अशुद्ध न करे अर्थात् मेरे उस
पवित्र दिन में अपनी इच्छा पूरी करने का यत्न न करे, और विश्रामदिन को आनन्द का
दिन और याहुवाह का पवित्र किया हुआ दिन समझकर माने; यदि तू उसका सम्मान करके . .
.” ( यशायाह ५८:१२,१३)

जबकि बाकी संसार घोषणा करता है कि सब्त को दूर किया जाए, वे
जो सृष्टिकर्ता की उपासना उसके पवित्र सब्त पर करने के लिए उसके चन्द्र-सौर्य
कैलेन्डर की पुनर्स्थापना करते हुए लौट आते हैं स्वर्ग में बहुतायत से आदर पाएँगे.
धर्मशास्त्र घोषणा करता है:

“पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो याहुवाह की आज्ञाओं
को मानते और याहुशुआ पर विश्वास रखते हैं.” (प्रकाशितवाक्य १४:१२)

सब्त का पालन याहुवाह के सभी विश्वासी लोगों के द्वारा
अनन्तकाल तक किया जाएगा. यह सर्वदा सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता के प्रति उनकी
निष्ठा का चिन्ह ठहरेगा. आज ही चुनिए की आप उसकी उपासना और सेवा करेंगे जिसने
स्वर्ग और पृथ्वी, समुद्र और जो कुछ उसमें है बनाया.     

 

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