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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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अन्य भाषाओं में बोलना

सुसमाचार प्रचार के लिए स्वर्ग के उपहार

याहुवाह ने पृथ्वी पर अपने लोगों के ऊपर प्रचूर दान प्रदान कर दिए हैं। सबसे पेचीदा, और अभी तक कम समझा गया स्वर्ग से प्रदान किया गया दान, भाषाओं में बोलने का है। बहुत से मसीही लोगों का आज मानना है कि, जब तक व्यक्ति को “पवित्र आत्मा का दान” नहीं मिल जाता और “अन्य-अन्य भाषा में बोल” नहीं सकता हो तो वह पुरुष/स्त्री अभी तक “पवित्र आत्मा से बपतिस्मा” पाया हुआ नहीं है। अन्य भाषाओं में बोलने के प्रयोग को एक परीक्षण के तौर पर यह साबित करने के लिए किया जाता है कि व्यक्ति को बचा लिया गया है या नहीं? “भाषाओं में बोलना” जिसका अभ्यास आज मसीहियों के द्वारा किया जाता है, जब वे कहते हैं कि , हम प्रार्थना या उपासना कर रहे हैं, दरअसल बाइबिल आधारित अन्य भाषाओं में बोलने की वास्तविकता के विपरीत है।

याहुशुआ के स्वर्ग में वापस चढ़ने से ठीक पहले उसने अपने चेलों से कहा:

“तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। और विश्वास करने वालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे, नई-नई भाषा बोलेंगे।” (मरकुस १६:१५,१७)

अन्य भाषाओं में बोलना imageशिष्यों को उद्धार की सच्चाइयों को पुरी दुनिया में फैलाने का कार्य दिया गया था! उन्हें ऐसा करने के लिए, याहुशुआ ने वादा किया कि उन्हें “नई भाषा” या “अन्य भाषा” को सक्षमता से बोलने में पुरस्कृत किया जाएगा। यह अनुपम दान सबसे पहले “पिन्तेकुस्त के दिन” प्रदान किया गया था, और इसने बहुत सी आत्माओं के उद्धार पाने में अगुवाई की।

“जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। और एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और…वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।

“और आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रहते थे। जब वह शब्द हुआ तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्योंकि हर एक को यही सुनाई देता था, कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं।

“और वे सब चकित और अचम्भित होकर कहने लगे; देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं? तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी अपनी जन्म भूमि की भाषा सुनता है। हम जो पारथी और मेदी और एलामी लोग और मिसुपुतामिया और यहूदिया और कप्पदूकिया और पुन्तुस और आसिया और पमफूलिया और मिस्र और लिबूआ देश जो कुरेने के आस पास है, इन सब देशों के रहनेवाले और रोमी प्रवासी, क्या यहूदी क्या यहूदी मत धारण करनेवाले, क्रेती और अरबी भी हैं। परंतु अपनी अपनी भाषा में उन से…[याह] के बड़े बड़े कामों की चर्चा सुनते हैं।

“और वे सब चकित हुए, और घबराकर एक दूसरे से कहने लगे कि यह क्या हुआ चाहता है?” (प्रेरितों के काम २:१-१२)

पौलुस ने जल्दी से भीड़ को समझाया कि क्या हो रहा था:

पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, कि हे यहूदियों, और हे यरूशलेम के सब रहनेवालों, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो। परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई है। कि परमेश्वर कहता है, कि अन्त कि दिनों में ऐसा होगा, कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उडेलूंगा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियाँ भविष्यद्वाणी करेंगी और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे, और तुम्हारे पुरनिए स्वप्न देखेंगे (प्रेरितों के काम २:१४,१६,१७)

पतरस का भाषण, चाहे उनकी मातृ भाषा जो भी हो, वहाँ मौजूद सभी लोगों की समझ में आ गया था। नतीजा अद्भुत था!

“सो जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए। और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।” (प्रेरितों के काम २:४१,४२)

सच्चा “भाषाओं का दान” हमेशा पिता की बढ़ाई करता है, और इसे केवल उन लोगों के साथ “दिव्य सत्य” का संचार करने के उद्देश्य से दिया गया था जो दूसरे प्रकार से बोले जा रहे शब्दों को समझ नहीं सकते।

अन्य भाषाओं में बोलना image

सच्चा “भाषाओं का दान” हमेशा पिता की बढ़ाई करता है, और इसे केवल उन लोगों के साथ “दिव्य सत्य” का संचार करने के उद्देश्य से दिया गया था जो दूसरे प्रकार से बोले जा रहे शब्दों को समझ नहीं सकते। इसके विपरीत, बहुतों के द्वारा निकाली जाने वाली आवाज़ जो दावा करते हैं कि उनके पास “अन्य भाषा का दान” है, यह सिवाए बिना अर्थ वाली बक बक या बड़बड़ाहट के अलावा और कुछ नहीं। बनाई गई ध्वनियाँ अलग भाषाएँ नहीं होती और न ही वे निश्चित रूप से किसी को भी सत्य और धार्मिकता में निर्देशित नहीं करती है। वास्तव में, आज लोगों द्वारा “glossolalia (ग्लोसोलेलिआ)” या “अन्य-अन्य भाषा” में बोलने का अभ्यास पवित्र शास्त्र में दिए गए दिशा-निर्देश के बिलकुल विपरीत में है जो प्रकट करता है कि यह असली है या नहीं।

याहुशुआ ने खुद स्पष्ट रूप से चेताया है कि,

“प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है।” (मत्ती २:६-७)

नए नियम के किसी भी लेखक की तुलना में, पौलुस सब से ज्यादा भाषाओं के दान पर लिखा। उसने आधुनिक अर्थहीन शोर के खिलाफ चेतावनी दी जिसे आज बहुत से लोग “अन्य-अन्य भाषाओं का दान” कहते हैं।

“पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएंगे।” (२ तीमुथियुस २:१६)

पौलुस समझ गया था कि सभी भाषाएँ एक “दिव्य दान” है जो सिर्फ संचार करने के उद्देश्य से दिया गया था, परंतु यदि कोई व्यक्ति नहीं समझता की अन्य व्यक्ति क्या कह रहा है, तो संचार उत्पन्न नहीं होता! तब कोई भी भाषा बस एक व्यर्थ और गुडमूड ध्वनि बन जाती है: अर्थहीन बडबड़। एक समय पर, कुरिन्थुस में विश्वासी जन “भाषाओं के दान” को पाने के लोभ के चलते खतरे में पड़ गए थे, ठीक उसी वजह के लिए जिसे आज बहुत से लोग चाहते हैं – उन लोगों को ये मानना था कि ये उन्हें और भी पवित्र और महत्वपूर्ण दिखने वाला बना देगा। पौलुस ने तुरंत ही उन्हें सीधा किया कि बोलने वाले शब्द, जिसे कोई नहीं समझता सत्य का संचार नहीं करता और इस प्रकार इसके मूल उद्देश्य को पूरा नहीं करता जिस कारण से स्वर्ग “भाषाओं का दान” देता है!

“इसलिये हे भाइयों, यदि मैं तुम्हारे पास आकर अन्य-अन्य भाषा में बातें करूं, और प्रकाश, या ज्ञान, या भविष्यद्वाणी, या उपदेश की बातें तुम से न कहूं, तो मुझ से तुम्हें क्या लाभ होगा?

“इसी प्रकार यदि निर्जीव वस्तुएं भी, जिन से ध्वनि निकलती है जैसे बांसुरी, या बीन, यदि उन के स्वरों में भेद न हो तो जो फूंका या बजाया जाता है, वह क्योंकर पहचाना जाएगा?

“ऐसे ही तुम भी यदि जीभ से साफ बातें न कहो, तो जो कुछ कहा जाता है? वह क्योंकर समझा जाएगा? तुम तो हवा से बातें करनेवाले ठहरोगे।
 

“इसलिये यदि मैं किसी भाषा का अर्थ न समझूं, तो बोलने वाले की दृष्टि में परदेशी ठहरूंगा; और बोलने वाला मेरे दृष्टि में परदेशी ठहरेगा।” (१ कुरिन्थियों १४:६,७,९,११)

पौलुस यह बताता है कि यदि बोली जा रही भाषा को समझा नहीं जा सकता या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा अनुवादित नहीं किया जा सकता जो वही भाषा बोलता हो, तो “अन्य अन्य भाषा में” बोलने वाले व्यक्ति को चुप रहना होगा।

“यदि अन्य भाषा में बातें करनी हो तो…एक व्यक्ति अनुवाद करें। परन्तु यदि अनुवाद करने वाला न हो, तो अन्य भाषा बोलने वाला कलीसिया में शान्त रहे।” (१ कुरिन्थियो १४:२७-२८)

पौलुस को “भाषाओं के दान” में विश्वास था। उसने इसका बहुत बार उपयोग भी किया! परंतु वह समझ गया कि सच्चा “भाषाओं का दान” हमेशा से एक तर्कसंगत भाषा थी जो समझी जा सकती थी।

अन्य भाषाओं में बोलना image

पौलुस को “भाषाओं के दान” में विश्वास था। उसने इसका बहुत बार उपयोग भी किया! परंतु वह समझ गया कि सच्चा “भाषाओं का दान” हमेशा से एक तर्कसंगत भाषा थी जो समझी जा सकती थी।

“मैं अपने…[एलोहीम] का धन्यवाद करता हूं, कि मैं तुम सब से अधिक “अन्य अन्य भाषा” में बोलता हूँ परन्तु कलीसिया में अन्य भाषा में दस हजार बातें कहने से यह मुझे और भी अच्छा जान पड़ता है, कि औरों को सिखाने के लिए बुद्धि से पाँच ही बाते कहूँ। (१ कुरिन्थियों १४:१८-१९)

पौलुस ने जो लोग अर्थहीन शोर मचाते थे बनाम, और जो लोग वास्तव में सत्य को विदेशी भाषा में दूसरों को समझाने की प्रतिभा के दान से पुरस्कृत किए गये थे, उनके बीच के अंतर को स्पष्ट किया कि:

जो अन्य भाषा में बातें करता है, वह अपनी ही उन्नति करता है; परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह कलीसिया की उन्नति करता है। मैं चाहता हूँ कि तुम सब अन्य भाषाओं में बातें करो, परन्तु अधिकतर यह चाहता हूं कि भविष्यद्वाणी करो: क्योंकि यदि “अन्य-अन्य भाषा” बोलने वाला कलीसिया की उन्नति के लिये अनुवाद न करें भविष्यद्वाणी करने वाला उस से बढ़कर है।” (१ कुरिन्थियों १४:४-५)

“भाषाओं का दान” बस यह है कि: यह एक उपहार है, जो स्वर्ग द्वारा दूसरों के साथ सत्य का संचार करने के उद्देश्य से दिया गया था। पौलुस ने कुरिन्थुस को प्रोत्साहित किया कि: “प्रेम का अनुकरण करो, और आत्मिक वरदानों की भी धुन में रहो विशेष करके यह, कि भविष्यद्वाणी करो।” (१ कुरिन्थियों १४:१)। हालांकि, स्वर्गीय दान मांग करने पर नहीं आता है। ये केवल उन्हीं को दिया जाता है जो हृदय की दीनता में, याहुशुआ की आत्मा से भरपूर होकर उनका (याहुशुआ का) कार्य करते हैं। हर एक को एक-समान दान नहीं दिया जाता और न ही किसी ऐसे को आत्मा के दान दिया जाता है जो इसका इस्तेमाल खुद की बढ़ाई के लिए करता हो।

अन्य भाषाओं में बोलना image“वरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है।” (१ कुरिन्थियों १२:४)

आत्मा के दान उन्हें दिए गए जिन्होंने पहले आत्मा के फलो को उजागर किया।

“आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे-ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।” (गलातियों ५:२२-२३)

याहुवाह, अपने बच्चों को आत्माओं के वरदान देने में प्रसन्न होते हैं। याहुशुआ ने सभी को आश्वासन दिया:

“सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुऐ देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।” ( लूका ११:१३)

गिरती मानव जाति द्वारा प्राप्त करने की तुलना में स्वर्ग आत्माओं के वरदान प्रदान करने के लिए कहीं अधिक तैयार है।

“क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।” (याकूब १:१७)

सभी जो अपने हृदय को दीन करेंगे और याहुवाह की इच्छा की पूर्ण आज्ञाकारिता की तलाश में हैं, वे आत्माओं के फलो से आशीषित होंगे। फिर, जब पिता को उनकी जरूरत पड़ती है, वह अपने बच्चों को, जो उनके लिए आवश्यक उपहार के साथ हो अपनी इच्छा को समस्त पृथ्वी पर पूरा करने के लिए पुरस्कृत करेंगे। उपासना या फिर प्रार्थना में बड़बड़ करना सिर्फ उसी की बढ़ाई करने का काम करता है जो “अन्य अन्य भाषा के दान” होने का दावा करता हो। ये किसी को भी ऊँचा उठाने में या धार्मिकता में निर्देशित नहीं करता यदि आसपास वाला समझ ही नहीं सकता हो कि क्या बोला जा रहा है। इस तरह की मूर्खता पूर्ण बड़बड़ केवल आत्मा के फलों की कमी को उजागर करती है जोकि आत्मा के वरदानों के लिए जरूरी होने चाहिए। प्रेम, धैर्य और दया खो जाती है जब कोई अतर्कसंगत बड़बड़ ध्वनियों द्वारा अपने स्वयं के महत्व को गौरव मान लेता हो। केवल वही प्रार्थना और उपासना पिता को कबूल है जो प्यार भरे हृदय से आती हो और इस तरह का हृदय पिता की आत्मा से भर जाता है।

“वह अच्छी तरह प्रार्थना करता है, जो दोनों मनुष्यों और पशु-पक्षियों से प्रेम करता है।
वह सर्वोत्तम प्रार्थना करता है, जो अच्छी तरह से सभी वस्तुओं, दोनों छोटी या बड़ी को प्रेम करता है;
प्रिय…[याह] के लिए जो हमें प्यार करता है, वह जो हमें बनाता है और सभी से प्रेम करता है।”
(शमूएल टेलर कॉलरिज)(Samuel Taylor Coleridge)

हर कोई, जो पिता की बढ़ाई करना चाहता है, उसकी जो स्वर्ग में है, जो सब जानता और देखता है, उनके नाम की बढ़ाई और सत्य तथा धार्मिकता को समस्त पृथ्वी पर फैलाने के लिए अपने दीन हृदय का इस्तेमाल करेगा।

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