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At the heart of WLC is the true God and his Son, the true Christ — for we believe eternal life is not just our goal, but our everything.

While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah's instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
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एक बार बचाया गया, हमेशा बचाया गया?

राजनयिक-प्रतिरक्षासन् १९७९ की बात थी। श्रीलंका में तैनात बर्मा के राजदूत को यकीन हो गया कि उसकी पत्नी का किसी के साथ अवैध संबंध चल रहा है। उन्होंने मामले को खुद के हाथों में लेने कि फैसला की, एक शाम, जब उसकी पत्नी देर से घर आई, उसे गोली मार दी। पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि घर के पिछवाड़े में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। जब श्रीलंका की पुलिस वहाँ पहुँची, वे राजदूत को उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार करते हुए देख तो सके, लेकिन राजदूत ने उन्हें अंदर कदम रखने से मना कर दिया था।

न्यूज़ीलैंड के एक बार उच्चायुक्त रह चुके गेराल्ड हेन्स्ले के अनुसार: “यह काफी परेशानी और समस्या का कारण था। राजदूत ने कहा कि यह बर्मी क्षेत्र था और इसलिए वे अंदर नहीं आ सकते।” 1

अपराध की गंभीरता के बावजूद, श्रीलंका सरकार राजदूत के खिलाफ आगे बढ़कर कार्यवाही करने में असमर्थ थी। फिर राजदूत को उनके देश वापस बुला लिया गया लेकिन तुंरत नहीं।2

एक हत्यारा खुले में घूम रहा था . . . क्योंकि उसके पास राजनयिक-प्रतिरक्षा थी।

कारागार से मुफ्त चले जानाराजनयिक-प्रतिरक्षा के गलत इस्तेमाल ने कई लोगों को इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाने का कारण बन गया था। यह न ही सही या उचित है कि एक व्यक्ति, राजदूत (स्थिति) होने के कारण, उसे किसी भी कानून को अवज्ञा करने की आज़ादी मिले।

और फिर भी . . .

लाखों मसीही एक ऐसी ही शिक्षा सिखाते हैं, जो वास्तव में उतना ही अन्याय और अनुचित है जितना कि कोई हत्यारा बड़ी ही आसानी से आजाद होकर बाहर घूम सकता है क्योंकि वह एक राजनयिक है। इस शिक्षा को “एक बार बचाया गया, हमेशा के लिए बचाया गया” या “अनंत सुरक्षा” कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, जब एक बार आप बच गए, तो आप हमेशा के लिए बचे रहेंगे। सुनने में अच्छा लगता है। हैं न? लेकिन इस धारणा का सावधानीपूर्वक और गहराई में अध्ययन करने से पता चलता है कि यह शिक्षा बाइबल आधारित नहीं है।

अनंत सुरक्षा के विचार उपस्थित करने वाले, इस विश्वास को उन कई वचनों पर आधार करते हैं, जो एक विश्वासी को उद्धारकर्ता में रहने मिलने वाली सुरक्षा के बारे में बताते हैं:

“मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। मेरा पिता, जिस ने उन्हें मुझ को दिया है, सब से बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता।” (यूहन्ना १०:२७-२९; HHBD)

(देखिए १ पतरस १:५; यूहन्ना ६:३९, यहूदा २४)

इन वचनों में, विश्वासियों को “भेड़” संदर्भित किया गया है जो चरवाहे की आवाज सुनते हैं और उसके पीछे-पीछे चलते हैं। “एक बार बचाये गए, हमेशा बचाये गए” सिखाने के बजाय, ये वचन वादा करते हैं कि याहुवाह को समर्पित होकर, दिव्य इच्छा के अधीन रहकर जीने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह की आत्मिक हानि नहीं होगी।

हालांकि, भेड़ें भटकने के लिए जानी जाती हैं। “हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया. . .” (यशायाह ५३:६; HHBD) अगर कोई व्यक्ति याहुवाह को अपनी इच्छा का समर्पण करना रोक दिया और जानबूझकर पाप करने लगा, तो वह खो जाएगा – भले ही उसने पहले ही उद्धार का उपहार ग्रहण कर लिया हो।

याहुवाह कभी भी मानव-इच्छा को जोर नहीं देता। इसी वजह से पवित्र शास्त्र चेतावनियों से भरा हुआ है, कि उन लोगों के साथ क्या होगा, जिन्होंने एक बार उद्धार स्वीकार किया, और भटक गए। “खोई हुई भेड़ का दृष्टांत” पिता और उद्धारकर्ता की खोई और भटकी हुई आत्माओं के लिए दयामय प्रेम का खुलासा करता है। लेकिन तब भी, किसी आत्मा को वापस जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता सभी को आश्वासित है। अगर हृदय हठपूर्वक पापों से चिपक जाता है, तो दया की लहरें पीछे चली जाएगी और कभी न वापस आएगी।

ठहनियों को काटनाएक दाखलता और उसकी डालियों के सादृश्य का उपयोग करते हुए, याहुशुआ उन सभी का भाग्य समझाते हैं जो उसमें बने नहीं रहते: यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।” (यूहन्ना १५:६; HINDI-BSI)

डाली घास नहीं है जो कभी भी दाखलता के साथ जुड़ा नहीं थी। कोई भी डाली तभी बढ़ और बनी रह सकती है यदि वह दाखलता (पौधा) से जुड़ी हुई होती है। उद्धारकर्ता के दृष्टांत में डालियाँ उन लोगों को संदर्भित करता है, जो एक समय में, उसके साथ निकटता से जुड़े हुए थे, और बढ़ने और बने रहने के लिए आत्मिक पोषण प्राप्त कर रहे थे! परन्तु, दैवीय रूप से उन्हें दी गई स्वतंत्र इच्छा का प्रयोग करते हुए, वे अपने जीवन के स्रोत से अलग हो गए। वे बेकार हो गए और आखिरकार उन्हें फेंक दिया गया।

“अनंत सुरक्षा” सिखाना तो दूर की बात है, पवित्र शास्त्र सटीकता से इसके विपरीत सिखाता है: यह संभव है कि एक समय पर उद्धार को स्वीकार कर लिया जाए और बाद की तारीख में, स्वतंत्र इच्छा का प्रयोग करते हुए, याहुवाह के खिलाफ विद्रोह के जीवन में वापस लौट जाएं। दौड़ की दृष्टान्त का उपयोग करते हुए, प्रेरित पौलुस ने उन बलिदानों और सावधानीपूर्वक तैयारियों पर प्रकाश डालता है जो पहलवान को पुरस्कार जीतने के लिए तैयार करती है। वह इस दृष्टान्त को यह स्वीकार करते हुए समाप्त करता है कि, वह भी अपना उद्धार खो सकता है:

क्या तुम नहीं जानते कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है? तुम वैसे ही दौड़ो कि जीतो। हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है; वे तो एक मुरझानेवाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं जो मुरझाने का नहीं। इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूँ, परन्तु लक्ष्यहीन नहीं; मैं भी इसी रीति से मुक्‍कों से लड़ता हूँ, परन्तु उस के समान नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता और वश में लाता हूँ, ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूँ। (१ कुरिन्थियों ९:२४-२७; HINDI-BSI)

मार्ग में भागनापौलुस जानता था कि उसका उद्धार्कता के साथ बचाए गए हुए संबंध में रहने पर भी, यह बात, उसकी चुनने कि स्वतंत्र इच्छा को नहीं चुराता है। उसके द्वारा किए गए चुनाव (निर्णायों) से वह अब भी, अनंत जीवन खो सकता है। क्रूस पर उद्धारकर्ता की मृत्यु पिछले किए गए पापों के लिए “राजनयिक प्रतिरक्षा” प्रदान करती हैं। यह जानबूझकर किए गए वर्तमान पापों के लिए उत्तरदायी (जवाबदेही) होने कि जिम्मेदारी को नहीं निकालता। इस प्रकार, पौलुस को एहसास हुआ कि, दूसरों को उद्धार के रास्ता में अगुवाई करने के बावजूद, उसके अपने निज़ी चुनाव (निर्णयों) के द्वारा वह “अयोग्य” हो सकता है। यह शब्द “अयोग्य”, का अनुवाद “एडोकोमॉस” (#96) से किया गया, जिसका अर्थ है: “अस्वीकृत, यानि ठुकराया हुआ; जो योग्य नहीं है, निकम्मा, . . . , ठुकराया हुआ।”

ये वचन सही संदर्भ के उदाहरण प्रदान करते हैं कि अयोग्य या निकम्मे हृदय होने का अर्थ क्या है। (देखिए तीतुस १: १०-१६ ; २ तीमुथियस ३:८; १ कुरुन्थियों १३: ५:७)

शायद इस शब्द का सबसे स्पष्ट उपयोग, और जो सीधे तौर पर “एक बार बचाया गया, हमेशा बचाया गया” का खंडन करता है, वह रोमियों १: १८-३२ में पाया जाता है। यहाँ पौलुस विशेष रूप से कहता है कि, हालांकि ये व्यर्थ विचार करने वाले निकम्मे (वचन २१) याहुवाह को जानने पर भी, वे पाप करने में अड़े हुए हैं। यह नहीं कहा जा सकता है कि ये मूर्तिपूजक थे जो सृष्टिकर्ता को नहीं जानते थे। लेकिन, याहुवाह को जानते हुए भी, वचन २८ में कहा गया है, कि वे उन्हें पहचानना (स्वीकार करना) नहीं चाहते थे: “जब उन्होंने परमेश्‍वर को पहिचानना न चाहा, तो परमेश्‍वर ने भी उन्हें उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया कि वे अनुचित काम करें।” (रोमियों १:२८; HINDI-BSI)

ध्यान दें कि याहुवाह ने “उन्हें एक निकम्मे मन पर छोड़ दिया था।” यहीं याहुवाह के द्वारा दिए गए उद्धार के सत्य को प्रस्तुत किया गया है: “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कुछ लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता कि कोई नष्‍ट हो, वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (२ पतरस ३:९; HINDI-BSI) लेकिन, जितना वह सभी को पश्चाताप को लाने की इच्छा रखता है ताकि सभी को बचाया जा सके, उतना ही उन्हें उनके खुद के लिए चुनने का व्यक्तिगत अधिकार को वह कभी नहीं हटाएगा। वह उन लोगों को जाने और उन्हें अपनी इच्छाओं का पालन करने के लिए छोड़ देगा जो याहुवाह ऐलोहीम के साथ एक रिश्ता नहीं रखना चाहते।

उसी तरह प्रेरित पतरस भी यह सिखाता है:

जब वे प्रभु और उद्धारकर्ता याहुशुआ, अभिशिक्त की पहचान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकले, और फिर उनमें फँसकर हार गए, तो उनकी पिछली दशा पहली से भी बुरी हो गई है।

क्योंकि धर्म के मार्ग का न जानना ही उनके लिये इससे भला होता कि उसे जानकर, उस पवित्र आज्ञा से फिर जाते जो उन्हें सौंपी गई थी।

उन पर यह कहावत ठीक बैठती है, कि कुत्ता अपनी छाँट की ओर और नहलाई हुई सूअरनी कीचड़ में लोटने के लिये फिर चली जाती है। (२ पतरस २:२०-२२; HINDI-BSI)

कुत्ता अपनी छाँट को चाटता है यह एक बाइबल आधारित सिद्धांत है कि: “दो या तीन गवाहों के मुँह से हर एक बात ठहराई जाएगी।” (२ कुरिन्थियों १३:१; HINDI-BSI) इस प्रकार, अन्य जातियों के लिए प्रेरित, पौलुस और यहूदियों के लिए प्रेरित, पतरस, दोनों सहमति व्यक्त करते हैं, कि कोई भी व्यक्ति उद्धार का उपहार स्वीकार करने के बावजूद, अपने स्वतंत्र इच्छा का उपयोग करके वह अपना उद्धार को खो सकता है।

“अंनत सुरक्षा” की त्रुटि से चिपके रहने का खतरा यह है कि, राजनयिक प्रतिरक्षा के तरह, यह तर्कसंगत या कोई बहाने के तरह उपयोग किया जा सकता है जिन पापों को हठीला हृदय आत्मसमर्पण नहीं करना चाहता है। उद्धार एक मुफ्त उपहार है, लेकिन यह दैनिक आधार पर याहुवाह को आत्मसमर्पण करने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी को नहीं निकालता। “एक बार बचाया गया, हमेशा बचाया गया” एक प्रचलित त्रुटि है क्योंकि यह वास्तव में, प्रभावी रूप से, एक व्यक्ति द्वारा भविश्य में करने वाले कार्यों और लेने वाले निर्णयों के परिणाम से छूठ देती है भले ही कितने गंभीर रूप से, या लगातार, दिव्य व्यवस्था को तोड दिया हो। यह एक प्रकार की दिव्य “राजनयिक प्रतिरक्षा” है, जिसे वे मानते हैं, कि, वे जो कुछ भी करें, तो ढ़प जाता है क्योंकि वे अब बचाये जा चुके हैं।

यह अनुमान लगाना अत्यन्त खतरनाक है। पवित्र आत्मा का काम हैं: “संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा।” (यूहन्ना १६:८; HINDI-BSI)। पवित्र आत्मा किसी विशेष पाप को दूर करने के लिए एक व्यक्ति के हृदय पर प्रेरणा डालता होगा, लेकिन जब वह व्यक्ति “एक बार बचाया गया, हमेशा बचाया गया” सिद्धांत में विश्वास करता है तो ऐसे प्रेरणायों को “संदेह” समझकर नकार दिया जाता है। यह बेहद खतरनाक है क्योंकि पवित्र आत्मा को नकारना एक ऐसा पाप है जो क्षमा के योग्य नहीं है। जब पवित्र आत्मा की प्रेरणाओं को लगातार खारिज कर दिया जाता है, तो स्वर्ग और कुछ नहीं कर सकता।

पवित्रशास्त्र उन सभी के भाग्य के बारे में स्पष्ट है जो उद्धारकर्ता का अनुसरण करने से पीछे हट जाते हैं:

क्योंकि जिन्होंने एक बार ज्योति पाई है, और जो स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख चुके हैं और पवित्र आत्मा के भागी हो गए हैं, और याहुवाह के उत्तम वचन का और आने वाले युग की सामर्थ्य का स्वाद चख चुके हैं, यदि वे भटक जाएँ तो उन्हें मन फिराव के लिये फिर नया बनाना अनहोना है; क्योंकि वे याहुवाह के पुत्र को अपने लिए फिर क्रूस पर चढ़ाते हैं और प्रकट में उस पर कलंक लगाते हैं। (इब्रानियों ६:४-६; HINDI-BSI)

कुछ लोग यह वाद-विवाद करेंगे कि, यदि कोई व्यक्ति भटक जाता है, तो वह शुरुआत से ही नहीं बचा था, लेकिन यह पवित्रशास्त्र के वचन से सुसंगत नहीं है। पौलुस स्पष्ट रूप से कहता है “एक बार ज्योति पाई“। यदि कोई व्यक्ति दिव्य अनुग्रह से अपनी पीठ मोड़ लेता है, तो दिव्य प्रेम उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध रहने के लिए कभी मजबूर नहीं करेगा। क्योंकि सच्चाई की पहचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।” (इब्रानियों १०:२६; HINDI-BSI)

शायद “एक बार बचाया गया, हमेशा बचाया गया” के सिद्धांत के बारे में सबसे बुरी चीज यह हो सकता है, कि, यह याहुवाह के चरित्र के बारे में क्या सिखाता है।“क्योंकि याहुवाह ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। याहुवाह ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। (यूहन्ना ३:१६-१७; HINDI-BSI) विरासत में मिली पाप करने की स्वभाव, आदम के हर पुत्र और पुत्री से उस योग्यता को चुरा लिया, जहाँ वे खुद के लिए चुन सकें कि वे किसकी सेवा करेंगे: याहुवाह की या शैतान की। याहुशुआ का बलिदान यह आश्वासित नहीं किया की सभी बचाए जाएँगे। आदम के चुनाव के द्वारा अनंत जीवन को खोने के बजाय यह केवल अपने लिए चुनने का अधिकार को बहाल किया।

याहुवाह, जिन्होंने स्वतंत्र व्यक्तिगत चुनाव के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए इतना बड़ा त्याग दिया, कभी भी उस अधिकार को नहीं हटायेगा जैसे ही कोई व्यक्ति जो मसीह में खुद को उद्धारकर्ता के साथ बचाये जाने के संबंध में बांधा हुआ हो। पाप इच्छा का गुलाम बनाता है; और छुटकारा इसे याहुवाह के साथ फिर से बहाल करता है। लेकिन उस समय कोई भी इच्छा-रहित मन का गुलाम नहीं बनता। सभी के पास व्यक्तिगत चुनाव का अधिकार है और याहुवाह कभी भी उस अधिकार को अपने प्राणियों पर से नहीं हटायेगा।

बाइबल सिखाता है कि विश्वासी तभी सुरक्षित रहते हैं जब वे याहुवाह के प्रति वफादार रहते हैं। लेकिन अगर कोई याहुशुआ के हाथ को छोड देना चाहता है, तो फिर उसके लिए कोई आश्वासन नहीं है। “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है” (रोमियो ६:२३; HHBD) उनके लिए भी जिन्होंने एक बार उद्धार स्वीकार किया था।

सारे त्रुटियाँ जीवन और प्रेम के स्रोत से अलग करता है। यह तथ्य कि याहुवाह ने स्वतंत्र इच्छा को सुनिश्चित करने के लिए अपने पुत्र का बलिदान कर दिया और वह सभी को उस स्वतंत्र-इच्छा को बनाए रखने की अनुमति देता है, इतना गहरा प्रेम प्रदर्शित करता है, इतना दूर कि मानव मन उसे पूरी तरह से समझ नहीं सकता। “एक बार बचाया गया, हमेशा बचाया गया” की त्रुटि से बाहर निकलें। आपको सभी नुकसानों से सुरक्षित रखने वाले पिता के पास आएँ। याहुवाह कभी भी आपके व्यक्तित्व, आपके आत्म-हनन, आपकी स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन नहीं करेगा, लेकिन जब आप उनको अपनी इच्छा की आत्मसमर्पण करने के लिए चुनते हैं, तो वह आपको बचाए रखेगा।

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